वीणा वादिनी नमन आपको प्रणाम है
शब्द-शब्द दीप की, अखंड जोत आरती |
प्रकाश पुंज से प्रकाशवान होती भारती |
खंड-खंड में प्रचंड, दीप्ति विघमान है |
वीणा वादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
साधकों की साधना में,
एकता के स्वर सजे,
आपकी आराधना में,
साज संग मृदंग बजे |
कोटि-कोटि वंदनाएं, आपके ही नाम हैं |
वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
नेक काज कर सके,
हमको ऐसी बुद्धि दो,
छल कपट से हो परे,
आत्मा में शुद्धि दो |
सत्य की डगर में माना, मुश्किलें तमाम हैं |
वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
बुराइयों से हों परे,
नेकियों का साथ हो,
मेरे शीश पर सदा,
आपका ही हाथ हो |
भोर थी विभोर सी, अब सुहानी शाम है |
वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
सद्भाव की डगर चलें,
समग्रता सुलभ मिले,
रहे ज़मीन पर क़दम,
चाहें सारा नभ मिले |
उपासना में आपकी, सत्य का ही नाम है |
वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
– उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश
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