विजया घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: विजया घनाक्षरी -बाबूलाल शर्मा ‘विज्ञ’

विजया घनाक्षरी विधान

  • ३२ वर्ण (८८८८) प्रतिचरण
  • चार चरण समतुकांत
  • आंतरिक समान्तता हो
  • चरणांत नगण १११

विजया घनाक्षरी विधान का उदाहरण

तिरंगा चाह कफन

भारत माता वंदन
माटी सादर चंदन,
मानस अभिनंदन
चरणों में है नमन।

जन गण का गायन
हर दिन हो सावन,
कण कण है पावन
रहे आजाद वतन।

सुन्दर सुन्दर वन
पौरुष वान बदन,
ईमानी है जन जन
रहे आबाद चमन।

देश की रक्षा का मन
करें आतंक हनन,
समर्पित दैही धन
तिरंगा चाह कफन।
. —–+—-

©~~~~~~~~ बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

You might also like