हरिहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: हरिहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

हरिहरण घनाक्षरी विधान

  • ३२ वर्ण( ८८८८) प्रतिचरण
  • चार चरण समतुकांत
  • आंतरिक समान्तता अपेक्षित
  • चरणांत लघु लघु ११

हरिहरण घनाक्षरी का उदाहरण

. __परिवर्तन__

हे श्याम वर्ण के घन
नर्मद सा हो ये मन,
पत्थर शिव जीवन
वसुधा पर सावन।

सागर जैसा हो धन
विहगों जैसा जीवन,
यमुना सी बंशी धुन
गंगा सा जल पावन।

हे राधा तेरा नर्तन,
मेघों के जैसा गर्जन,
हो युग परिवर्तन
माधव मन भावन।

मीरा के पद गायन,
भारत माता के जन,
पायलियों का वादन,
छंद विज्ञ के गावन,
. —–+—–
©~~~~~~~~बाबूलालशर्मा *विज्ञ*

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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