विश्व संगठित पर कविता -विजिया गुप्ता “समिधा

विश्व संगठित पर कविता

विश्व शांति अभियान चलायें
आओ मिल कर कदम बढायें
रंग-भेद को दूर भगायें
आपस में सदभाव जगाएं

जाति,धर्म के भेद में
हनित ना हो अधिकार
सर्वधर्म समभाव का
सपना हो साकार 

लिंग-भेद के दंश से
मुक्त हो ये संसार
दो नयनों सम प्रिय रहें
महके घर संसार

आओ सब मिल अलख जगाएं
हर अवसर पर पेड़ लगायें
पर्यावरण सुधर जाएगा
जग में जब हरियाली छाये

तपती धरती करे पुकार
सुन लो भाई सुन लो यार
ठंडकता इसको है देना 
जल संरक्षण से कर लो प्यार

साफसफाई घर से जग तक
और सन्तुलित खाना हो
सही समय पर जतन करो
यदि बीमारी दूर भगाना हो

हथियारों के जोर पर
आगे बढ़ना बन्द करो
ख़ाक बचेगी केवल समझो
अब तो लड़ना बन्द करो

आकुल व्याकुल हो रही
धरती माँ भी आज
विश्व संगठित हो जाए
ऐसा करो प्रयास

शांति प्रणेता बन चलो
सकल राष्ट्र को जोड़
स्वर्ग से सुंदर धरती हो
मन हो भाव विभोर

आओ एक संकल्प लें
शांति दूत बन आज
वसुधैव कुटुम्बकम का
कर लें फिर आगाज़…..

विजिया गुप्ता “समिधा”
दुर्ग-छत्तीसगढ़

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