विरह पर कविता
प्रेम में पागल चाँद से चकोर प्यार करे ।
उम्र भर देखे शशि को उसका हीं दीदार करे ।
हिज्र एक पल का भी सहा जाये ना उनसे ।
आंसुओं के मोती से इश्क का इजहार करे।
हर घड़ी हर पल आँखों में चंदा की चंद्रकला ।
चाँद को मन में बसाकर बेशुमार प्यार करे।।
बादामी रातों में चाँद की जुन्हाई का।
मखमली धरणी पर वो पुष्प से श्रृंगार करे।।
उनको छूने की चाह में बीते चाहे लाखों जन्म।
चाँद की छवि में अपने प्रेम का इकरार करे।।
चंद्रकिरणों को पीकर वो वियोगी इंदु का ।
पूनम की रात का वो फिर से इंतजार करे ।
?सर्वाधिकार सुरक्षित?
बाँके बिहारी बरबीगहीया ✍