द्वेष दम्भ भूलकर अपनाएँ भाईचारा ।
होगा खुशहाल तभी ये देश हमारा।
विश्वास की गहरी नींव बनाकर,
चलो कटुता मन की काटे।
न बने किसी के दुख की वजह
फूल खुशियों के बाँटें।
हमारी संस्कृति यही सिखाती
पूरा विश्व है एक परिवार।
बैर ईर्ष्या उन्नति में बाधक
प्रेम ही सुख का आधार।

Kavita Bahar Publication
हिंदी कविता संग्रह

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