बासंती फागुन
बासंती फागुन ओ बसंत की चपल हवाओं,फागुन का सत्कार करो।शिथिल पड़े मानव मन मेंफुर्ती का संचार करो।1बीत गयी है आज शरद ऋतु,फिर से गर्मी आयेगी.ऋतु परिवर्तन की यह आहट,सब के मन को भायेगी।2कमल-कमलिनी ताल-सरोवर,रंग अनूठे दिखलाते।गेंदा-गुलाब टेसू सब मिलकरइन्द्रधनुष से बन जाते।3लदकर मंजरियों से उपवन,छटा बिखेरें हैं अनुपम।पुष्पों से सम्मोहित भँवरें,छेड़ें वीणा सी सरगम।4अमराइयों … Read more