स्वार्थी मत बन बावरे काम करो निःस्वार्थ- रामनाथ साहू ननकी के कुंडलियाँ

स्वार्थी मत बन बावरे काम करो निःस्वार्थ स्वार्थी मत बन बावरे , काम करो निःस्वार्थ ।शुद्ध भाव से कीजिए , जीवन में परमार्थ ।।जीवन में परमार्थ , बैरता बंधन खोलो ।बस मीठे शुचि बोल , सदा सबसे तुम बोलो ।।कह ननकी कवि तुच्छ , कर्म बस करो हितार्थी ।परहित की ही सोच , कभी मत … Read more

केवरा यदु “मीरा ” के अपने श्याम के दोहे

श्याम के दोहे पागल मनवा ढूँढता, कहाँ मेरा चितचोर ।मन-मंदिर से झाँकता,मैं बैठा इस ओर।। पागल फिरता है कहाँ, जीवन है दिन चार ।वाणी में रस घोलिये,सदा सत्य व्यवहार।। पागल कहते लोग है,लगी श्याम से प्रीत ।नहीं मुझे परवाह है,गाऊँ उनके गीत ।। जब से देखा श्याम को,पगली सी है हाल।जादू तिरछी नजर का,जग माया … Read more