भेदभाव को छोड़कर धर अपनों का हाथ
भेदभाव को छोड़कर ,
धर अपनों का हाथ ।
नित्य मधुर संबंध से ,
नात जुड़े हैं साथ ।।
प्रभु का सुमिरन नित करें ,
छूटे हैं भव जाल ।
ईष्ट जोड़ संबंध मनु ,
चमक उठे हैं भाल ।।
सदा बड़ों का मान रख ,
निभा चलें हम नात ।
दिव्य बँधें संबंध तो ,
मिले प्रेम सौगात ।।
टूटे हैं संबंध तो ,
विगलित है मन आज ।
जब मन में अति दुख भरे ,
होते सफल न काज ।।
मर्यादित संबंध बँध ,
रिश्ते कर पहचान ।
कहे रमा ये सर्वदा ,
मिले जगत सम्मान ।।
*~ मनोरमा चन्द्रा “रमा”*
*रायपुर (छ.ग.)*
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