आँखो का नूर

‘अपने लाल के लिए माँ की जीवन के प्रति सीख।

आँखो का नूर

मेरे लाल ,तू है आंखो का नूर,
मुझे तुझ पर इतना है गरूर,
बस याद रखना तू इतना जरूर,
कभी न होना तू बे-नूर,
राह में काँटे बिखरे हो दूर दूर
तू मत होना थकान से चूर,
पथरीली राहों पर चलकर पहुंचना सुदूर,
‘छोटी राहें’ ललचायेगी तुझे ये है दस्तूर,


पर न कभी भटकना,न कभी बहकना,
मंजिल तेरे कदम चूमेगी झूम-झूम,
मेरे लाल, मेरे आँखों के नूर
मुझे तुझ पर इतना गुरूर।


जीवन में आयेंगे कई उतार चढ़ाव,
तू मोड लेना पानी का बहाव,
अपनी राहों में सजाना सरगम के सूर,
कभी न होना तू मगरुर,
राह मे आयेंगे कई मकाम,
पर पहुँचना है तुझे मुकाम,
मंजिल तेरे कदम चूमेगी झूम-झूम।


मेरे लाल, मेरे आँखो के नूर,
मुझे तुझ पर है इतना गरूर।।

माला पहल (मुंबई )

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