आक्रोश पर कविता
ये आज्ञा अब है मिली ,खुल के लो प्रतिशोध
चुन- चुन के रिपु मारिये, हो गलती का बोध ।।
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कोई अब बातें नहीं , करो सिर्फ आघात ।
दुष्ट दमन करते चलो , एक बराबर सात ।।
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जय भारत जय हिंद से , गूँज उठे संसार ।
माँ भारती तिलक करो , बहे लहू की धार ।।
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पाक नहीं नापाक है , दुश्मन पाकिस्तान ।
कोई जिंदा मत बचे , बन जाये शमसान ।।
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रण चण्डी अब जागिये , पीना है फिर रक्त ।
वीर भुजा है फड़कती , आया रण का वक्त ।।
देश नहीं तो हम नहीं , हमसे है सरकार ।
गीदड़ भपकी मत डरो , करो युद्ध ललकार ।।
जो हैं दुश्मन वतन के, उसे निकालो खोज ।
मृत्यु देवता सौंप दो , हो तांडव हर रोज ।।
कल तक जुल्म बहुत हुआ , टूटा संयम बांँध ।
पकडो अब हथियार सब, हथगोला धर काँध ।।
आतंकी के खून से , लिख दो ये पैगाम ।
हिंदुस्तान अजेय है , तू औलाद हराम ।।
भारत मेरी जान है , भारत मेरी शान ।
वीर प्रसूता माँ कहे , सौ सौ सुत कुरबान ।।
~ रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह ( छ. ग. )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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