CLICK & SUPPORT

आना कभी गाँव में – बलवंत सिंह हाड़ा

ग्राम या गाँव छोटी-छोटी मानव बस्तियों को कहते हैं जिनकी जनसंख्या कुछ सौ से लेकर कुछ हजार के बीच होती है। प्रायः गाँवों के लोग कृषि या कोई अन्य परम्परागत काम करते हैं। गाँवों में घर प्रायः बहुत पास-पास व अव्यवस्थित होते हैं। परम्परागत रूप से गाँवों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएँ होती हैं। विकिपीडिया

आना कभी गाँव में – बलवंत सिंह हाड़ा

गाँव पर हिंदी कविता

धरती के आंगन मे
अंबर की  छाँव में
आना कभी गाँव में।।


बरगद की डाल पे
गाँव की चौपाल पे
खुशी के आँगन में
झुला झुलने को
आना कभी गाँव में।।


संध्या के गीत सुनने
लोक कलाए देखने
दादी की कहानी सुनने
आना कभी गाँव में।।


खेतों की मेड़ पे
सरसों के खेत पे
हरियाली देखने
आना कभी गाँव में।।


सावन के झुले कभी
कोयल की बोली मीठी
बरखा रानी की धारा
भोजन की थाल पे
आना कभी गाँव में।।


होली के रंग खेलने
दीवाली के दीप जलाने
राखी पे धागा बाँधने
ईद की सेवईयाँ चखने
शादी की धूम देखने
आना कभी गाँव में।।


बेहरूपिया का रुप देखने
बच्चों की धमाल देखने
चाय की मनावर देखने
बलवंत को मिलने
आना कभी गाँव में।।

बलवंतसिंह हाड़ा

CLICK & SUPPORT

You might also like