पंथी पर कविता

शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कुंडलिया “पंथी पर” छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर पंथी नृत्य पर केंद्रित है। पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी अनूठी शैली और सांस्कृतिक…
शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कुंडलिया “पंथी पर” छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर पंथी नृत्य पर केंद्रित है। पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी अनूठी शैली और सांस्कृतिक…
शिवकुमार श्रीवास “लहरी” छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी यह कविता ” नाचा” छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और विशेषकर कुंडली विधा पर केंद्रित है। कुंडली नाच छत्तीसगढ़ का एक लोकप्रिय नृत्य है जो अपनी अनूठी शैली और सांस्कृतिक…
शिवकुमार श्रीवास “लहरी” द्वारा रचित यह रोला छंद की कविता, छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय नृत्य सुवा को बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित करती है। कवि ने अपने शब्दों से सुवा नृत्य की जीवंतता, महिलाओं की भावनाओं और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक…
शिवकुमार श्रीवास “लहरी” द्वारा रचित यह दोहा कविता भारतीय लोक कलाओं, विशेषकर लोक नृत्यों के प्रति गहरा आदर और चिंता व्यक्त करती है। कवि ने अपनी कविता के माध्यम से लोक नृत्यों के महत्व, उनकी समृद्ध विरासत और वर्तमान समय…
चल स्कूल जाबो शिक्षा के बीना,जिनगी हर नरक बरोबर हे, ज्ञान के मंदिर स्कूल,हमर सबके धरोहर हे। मन के मन मस्तिष्क मा,स्कूल के तस्वीर हे, पुस्तक के हर एक पन्ना मा,अपन तकदीर हे। पढ़ लिख के एक दिन कामयाब…