Author: कविता बहार

  • हरीश व्यास जी का कवितायेँ

    हरीश व्यास जी का कवितायेँ

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    कब चमकेगी किरन ?


    बोझिल सा जीवन-
    तनहा सा यौवन,
    ना जानें कौन घड़ी-
    होगा मिलन,

    ये बिजली की कड़-कड़-
    हंसाती कभी है,
    ये सावन की बूंदे-
    रुलाती कभी है,
    तीरगी भरे जीवन का-
    ना कोई मस्कन.

    शबेग़म लिए संग-
    भटकूँ मैं रहगुज़र,
    वस्ल का आए प्रसंग-
    उस क्षण से हूं बेखबर,
    जिनके जिगर फ़िगारो हैं,
    उन्हें छेड़े पवन.

    वीरांकदे में ग़मज़दा हूं,
    आए तसव्वुर में-
    फिर भी जुदा हूं,
    मौजहाए ग़म में-
    कब चमकेगी किरन?

    हरीश व्यास,गीतकार
    जिला-प्रतापगढ़(राज.)


       हरीश व्यास,गीतकार
       1/182,हाउसिंग बोर्ड,
       जिला-प्रतापगढ़ (राज.)

    हाथ से कांधा जोड़ लें हम


    मैंने सुना है इस दुनियां में-
    दौलत सब कुछ यारों,
    प्यार मुहब्बत और मेहनत ही
    सब कुछ जग में प्यारों.

    कितनें सपूतों ने हर युग में-
    वैभव को ठुकराया,
    आज मनुज ने जर को ही-
    अपने मन मंदिर में बसाया,
    डाले नकाब धर्म का तन पे-
    दिल में हैं पाले भरम.

    मेहनत का कोई मोल नहीं है-
    जिस्म के लाखों खरीददार,
    अंग है बिकता पेट कीखातिर
    मच रहा हाहाकार,
    छोड़ दिए वेद-कुरान-
    गढ़ लिए गंदे करम.

    छोड़ दो अब भी भेदभाव को
    पकड़ो एक सहारा,
    दूर नहीं दिन इस दुनियां में-
    आएगा उजियारा,
    हाथ से कांधा जोड़ लें हम-
    सुख ज्यादा दुख कम.
    *
    हरीश व्यास,गीतकार
    जिला-प्रतापगढ़(राज.)

  • राखी चंदा पहुँच गई है…

    रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है।

    कहा जाता है कि एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति के लिये भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो कृष्ण ने उन्हें इंद्र और इंद्राणी की कथा सुनायी। कथा यह है कि लगातार राक्षसों से हारने के बाद इंद्र को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो गया। तब इंद्राणी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक तैयार रक्षाकवच को इंद्र के दाहिने हाथ में बांध दिया। इस रक्षाकवच में इतना अधिक प्रताप था कि इंद्र युद्ध में विजयी हुए। तब से इस पर्व को मनाने की प्रथा चल पड़ी।

    राखी चंदा पहुँच गई है….

    पृथ्वी ने भेजी है राखी ,
    चंदा तक पहुंचाने को ।
    विक्रम-प्रज्ञान हैं बने संवदिया,
    भाई-राखी बंधवाने को ।

    राखी में भरकर है भेजा,
    आठ-अरब का प्यारा- प्यार ।
    इसरो ने उसको पहुँचाया ,
    सोलह-बरस ,मेहनत का सार ।

    भारत संग जहान यह सारा,
    चंद्रयान पर गर्व करें ।
    उज्ज्वल भविष्य ,चमकते सपने ,
    जन-जन की आंखों में भरे ।

    लघु को कमतर ना माना करते ,
    व्यापक सोच के मानक पर ।
    अंतरिक्ष असीम-अपरिमित,
    पर होगा प्रज्ञान-असर ।

    मानवता के कदम बढ़े हैं,
    अंतरिक्ष में चांद की ओर ।
    मंगल, शनि , शुक्र और सूर्य ,
    छूना हर ब्रह्मांड का छोर ।

    हाथ तिरंगा ,आँखों सपने,
    विश्व-गुरु की कसौटी पर ।
    छोटे-छोटे कदमों से चलकर ,
    बने विश्व इक कुटुम्ब का घर ।

    देशों के शामिल प्रयासों से ही,
    नए गगन तक पहुंच बने ।
    अंतरिक्ष की रक्षा भी हो,
    चला कारवां ,ना कभी थमें ।

    विविध-विविधता लेकर भारत,
    भीम-जनतंत्र से एक बना ।
    विश्व-परिवेश भी एक बने तो,
    कैसा हो ये नेकसपना ?

    हथियार-होड़ की हठ से हटकर,
    नई राह को चुनना है ।
    जहां मानव खुशहाल भविष्य हो,
    संसार को ऐसा बुनना है ।

    सहपृथ्वी, शताधिक बहनों ने,
    प्यार अपना पहुँचाया है ।
    चंदामामा वो जग के बन गए,
    भारत-प्रज्ञान सरमाया है

    सोलह-अरब आंखों के सपने,
    भारत पर ही अब उम्मीद ।
    राखी-चंदा पहुंच गई है ,
    सूर्य-सर्वोदय, अब होंगे दीद ।

    अमृत-महोत्सव ,’स्वर्ण-चिड़िया ‘ का,
    खुले अंतरिक्ष में मनाएंगे ।
    ‘स्वाधीनता दिवस दो हजार सैंतालीस ‘
    ‘अजस्र’ सपने सजाएंगे ।

    *डी कुमार-अजस्र(दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)*
  • आकर्षण या प्रेम पर कविता

    आकर्षण या प्रेम

    मीरा होना आसान नहीं,
    ज़हर भी पीना पड़ता है।
    त्याग, प्रेम की परिभाषा,
    जीवंत निभाना पड़ता है।।

    हीर रांझा, लैला मंजनू,
    अब नहीं कहीं मिलते हैं।
    दिल में दिमाग उगे सबके,
    प्रेम का व्यापार करते हैं।।

    सुंदर प्रकृति, सुंदर लोग,
    दिल लुभावने लगते हैं।
    पर आकर्षण के वशीभूत,
    प्रेम कलंकित भी करते हैं।।

    नहीं होता वो प्रेम कतई,
    जो सुंदरता से उपजा हो।
    मां सिर्फ बस मां ही होती,
    कुरूप या चाहे अप्सरा हो।

    रचनाकार
    राकेश सक्सेना, बून्दी

  • मिसाइल मैन डाॅ अब्दुल कलाम

    भारत के महान वैज्ञानिकों का योगदान

    मिसाइल मैन डाॅ अब्दुल कलाम

    मिसाइल बनाने में वैज्ञानिकों ने दिया योगदान।
    सुरक्षित हिंद देश को मिसाइल दिया विभिन्न।।

    मिसाइल मैन कहलाये डाॅ अब्दुल कलाम।
    इस महान वैज्ञानिक को प्रिय का सलाम।।

    माँ भारती के पूत देते आ रहे है योगदान।
    सुंदर भारत देश को जनक किया प्रदान।।

    गरीब परिवार में जन्म लिया सहे दुख हजार।
    अपने बुद्धि,समझदारी से मिला उनको प्यार।।

    जनक जैसा घातक मिसाइल हिंद देश में आज।
    हिंद पुत्र वैज्ञानिकों पर देश को सदा नाज।।

    वेंकटेश वीर कलाम माँ के आँचल में पले।
    वतन हमारा अपना घर सुंदर राह चले।।

    माँ भारती के वैज्ञानिक पूत्र कहलाते वीर लाल।
    घातक बनाकर वो मिसाइल बना दुष्टों का काल।। *परमानंद निषाद'प्रिय'*

  • सुभाषचंद्र बोस पर हिन्दी कविता

    सुभाषचंद्र बोस

    भारत माँ के दुलरवा के जी….
    बस अतकेच्च कहानी हे |
    हिन्द के मान रखेबर ओखर,
    माटी मिले जुवानी हे ||

    1. 1897 मा, कटक क्षेत्र मा जन्मे |
      तेरहझन भाई-बहिनी के, खेले जी सँग में ||
      जानकीनाथ – प्रभावती के…. 2
      बड़ सुग्घर निशानी हे |
      हिन्द के मान रखेबर……
    2. अंग्रेज बैरी ले लड़ेबर, बड़ उदिम अपनाइस |
      जापान के सहयोग ले, “आजाद हिंद फौज” बनाइस ||
      “दिल्ली चलो”, “जय हिंद” के नारा… 2
      ले जागे सेनानी हे |
      हिन्द के मान रखेबर…….
    3. “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा”
      कपटी ब्रिटिश सरकार को, यहाँ न पलने दूँगा ||
      भारत माँ के नेता जी तो…. 2
      वीर-शहीद-बलिदानी हे |
      हिन्द के मान रखेबर ओखर,
      माटी मिले जुवानी हे |
      भारत माँ के दुलरवा के जी……

    दिलीप टिकरिहा “छत्तीसगढ़िया”
    पिरदा (भिंभौरी) बेरला-बेमेतरा
    9753304788,6263337664