12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

12 महीनों पर कविता (बारहमासा कविता)

12 महीनों पर कविता : भारतीय कालगणना में एक वर्ष में 12 मास होते हैं। महीनों पर कविता को बारहमासा कविता कहते हैं . एक वर्ष के बारह मासों के नाम ये हैं- चैत्र नक्षत्र चित्रा में पूर्णिमा होने के कारण, वैशाख विशाखा में होने के,ज्येष्ठ ज्येष्ठा में, आषाढ पूर्वाषाढ़ में,...

समय की चाल – पद्म मुख पंडा

समय की चाल सहज नहीं, जीवन भी जीना, नित उत्साह जरूरी है।हार गया, जो मन से, मानव की यह आदत, बूरी है।आएंगे तूफ़ान किस घड़ी, किसको भला पता है,निर्भय होकर, रहो जूझते, मिले सफलता पूरी हैज्ञानार्जन है बहुत जरूरी, बिना ज्ञान क्या कर सकते?विद्वतजन के साथ रहें तो, ये जीवन की...

बेवफ़ाई पर ग़ज़ल – माधुरी डड़सेना ” मुदिता”

बेवफ़ाई पर ग़ज़ल क्या शिकायत करें जब वफ़ा ही नहींफासले बढ़ रहे अब ख़ता ही नहीं। क्यूं उदासी यहाँ घेर डाला हमेंरोशनी दिल जिगर में हुआ ही नहीं। गर्दिशों में फँसी नाव मेरी यहाँबस धुँआ ही रहा मैं जला ही नहीं । आरजू थी चले हमसफ़र बनके हमदर्द इतना बढ़ा की दुआ ही नहीं । आईना...

श्री नाथ की स्तुति – डॉ मनोरमा चंद्रा रमा

यहां पर कवियत्री डॉ मनोरमा चंद्रा रमा द्वारा रचित कविता श्रीनाथ की स्तुति आपके समक्ष प्रस्तुत है श्री नाथ की स्तुति स्तुति कर श्री नाथ की, कृपा मिले भगवंत।कण-कण ईश विराजते, उनका आदि न अंत।। मिले प्रशंसा खास तो, रहना शुक्र गुजार।नम्र भावना से सदा, करें प्रकट आभार।।...

तरक्की की सीढ़ियां – गुलाबचंद जैसल

गुलाबचंद जैसल द्वारा रचित तरक्की की सीढ़ियां सभी भारतीयों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कविता है । आज वह समय आ गया है कि हम तरक्की के असली मायने को समझें। तरक्की की सीढ़ियां चलो निकालें नदियों से रवाब* कोकि-जल जीवों को जीवन मिलेगाऔर -हमें स्वच्छ पानीनदियाँ भी बहती...