7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता
पहला सुख निरोगी काया।
हमारे पूर्वजो ने भी बताया।
अच्छी लागे ना मोह माया,
अगर निरोगी ना हो काया।
निरोगी जीवन का आधार।
सबसे पहले हमारा आहार।
रसना को जिसमें रस आये ,
तन को वो रास न भी आये।
नमक, चीनी और मैदा ।
यह तो है रोगों से सौदा।
तला भूना कम ही खाओ,
सादे खाने से भूख मिटाओ ।
रंग-बिरंगी खाने की थाली,
अच्छी सेहत की है ताली।
खूब चबाकर खाओ दाँत से,
वरना भारी पड़ेगा आँत पे।
डाइटिंग से तुम करोगे फाका,
स्वास्थ्य धन पर पड़ेगा डाका।
नशे से खुद को रखो दूर,
जीवन रहे स्वस्थ भरपूर।
करो योग और व्यायाम,
साथ में थोड़ा प्रणायाम।
कदम रोजाना चलो हजार,
स्वस्थ जीवन के मूलाधार।
रोगमुक्त हो जग ये सारा,
निरामय हो जीवन हमारा॥
ज्योति अग्रवाला