Author: कविता बहार

  • नवदुर्गा पर दोहा – बाबूलाल शर्मा

    नवदुर्गा पर दोहा – बाबूलाल शर्मा

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। ]शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    माँ दुर्गा

    नवदुर्गा पर दोहा

    ~ १ ~
    मात शैल पुत्री प्रथम, कर पूजन नवरात।
    घट स्थापन पूजा करें, मिले सर्व सौगात।।
    . ~ २ ~
    ब्रह्मचारिणी रूप माँ, दिवस दूसरे जान।
    शक्ति मिलेगी भक्ति से, माता का वरदान।।
    . ~ ३ ~
    मात चन्द्रघंटा भजें, दिन तृतीय का रूप।
    मानस रहे चकोर सा, करिए भक्ति अनूप।।
    . ~ ४ ~
    कुष्मांडा चौथे दिवस, पूजन रूप विशेष।
    ध्यानमग्न उपवास कर, शुभ्र धारिए वेष।।
    . ~ ५ ~
    पूज्य स्कंदमाता सखे, दिवस पाँचवे मान।
    मातृशक्ति आराधना, पूजें सहित विधान।।
    . ~ ६ ~
    छठवें माँ कात्यायनी, पूजन मय उपवास।
    कृपा करें माँ भक्त पर, करती पूरी आस।।
    . ~ ७ ~
    कालरात्रि दिन सातवें, पूजें भक्त सुजान।
    मिटे कष्ट मन गात के, राग द्वेष अज्ञान।।
    . ~ ८ ~
    कृपा महागौरी करे, दिवस आठवें मान्य।
    धर्म शील संतोष दे, भरे गेह धन धान्य।।
    . ~ ९ ~
    ‘विज्ञ’ सिद्धिदात्री नवें, मान रूप नौ ज्ञात।
    शर्मा बाबू लाल पर, रखे कृपा जग मात।।


    ✍©
    बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ
    निवासी – सिकन्दरा, दौसा
    राजस्थान ३०३३२६

  • राष्ट्र भाषा पर छंद- बाबूराम सिंह

    राष्ट्र भाषा पर छंद

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    सुखद हिन्द महान बनाइए।
    मधुर बोल सदैव अपनाइए।
    प्रगति कारक भारत हो तभी।
    सरस काम करें अपना सभी।

    अजब ज्ञान भरें शुभदा लिए।
    सहज भावभरोस भव्य किए।
    गुण सभी इसमें जग आगरी।
    लखअमोलक है लिपि नागरी।

    महक मानवतामय है सिखो।
    मन लगाकर जागउठी लिखो।
    सँवर जाय तभी जग जानिये।
    बढ़ उठे शुचि भारत मानिये।

    जगत हिंद सु-बोल जगाइए।
    सरलता शुभ है अपनाइए।
    जगउठो सब भारत वासियों।
    निकल छोड़ सभी उदासियों।

    हक भव्य जब भारत पायेगा।
    जगत में सुख मोहक लायेगा।
    सकल विश्व गुरु जय भारती।
    सरस भाव सदा कर आरती।

    कविकला गुणभी सब बोलते।
    रस नवों कविता बिच घोलते।
    अभय ज्ञान अकूत सु-पाइये।
    झट सभी निजध्यान लगाइये।

    भरम भाव यहीं सब लायेगा।
    रम सभी इसमें शुचि पायेगा।
    चुकहुआ फिर तो सबजायेगा।
    सजग बिना फिर पछतायेगा।

    लगन से सब कोइ सँवारिये।
    भरम भेद सभी कु-सुधारिये।
    अलख भारत नेक जगाइये।
    हिन्द जुबान अमल में लाइये।

    ———————————————–
    बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
    मोबाइल नम्बर – 9472105032

    ————————————————

  • शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता -बाबूराम सिंह



    शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता

    सौभाग्यसे मिलाहै नरतन इसे सुफल बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपकहै सरस सदा अपनाओ।।

    बिनविद्या नर पशु समहै कहती दुनियां सारी
    छाया रहता जीवन है में चहुँदिश अँधियारी।
    ज्ञान ध्यान भगवान बिना माया रहती है घेरे-
    सबकुछ होता ज्ञान बिना मति जाति है मारी।

    अतः ज्ञानालोक हेतु शिक्षा को सेतु बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    शिक्षाका संसार अनूठा सुख-शान्ति जग देता।
    तम गम हम मानव जीवनसे सचमुच हरलेता।
    प्रगति पथ प्रशस्त कराके आगे सतत बढाता-
    विद्या ज्ञान वैभव से नर जीवन को भर देता।

    घर परिवार समाज देशको विद्यासे हीं सजाओ।
    शिक्षा ज्ञानका दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    शिक्षा हीं देनेवाला है सत्य शुचि का संगत।
    बेटियाँ भी पढ-लिख विद्या में बने पारंगत।
    समता एकता विश्वबंधुत्व कायम रहे हमेशा-
    तभी निखर पायेगा भारत वर्ष का रंगत।

    विश्वगुरु गरिमाआगेबढ़अक्षुण्ण सभी बनाओ।
    शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।

    ——————————————————–
    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032
    ——————————————————–

  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता - उपमेंद्र सक्सेना

    पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता

    दिखा गए जो मार्ग यहाँ वे, उसको सब अपनाएँ
    दीनदयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

    सन् उन्निस सौ सोलह में पच्चीस सितंबर आई
    नगला चंद्रभान मथुरा में, खुशियाँ गईं मनाई
    पिता भगवती प्रसाद जी माता बनीं राम प्यारी
    उठा पिता का साया फिर थी, संघर्षों की बारी

    वे मेधावी छात्र रहे थे, किसे नहीं वे भाएँ
    दीनदयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

    संघ- प्रचारक बनकर अपना, जीवन किया समर्पित
    उनके कारण ही भारत में, मानवता है गर्वित
    जोड़ दिया एकात्म बने वे मानववाद प्रणेता
    बाधाओं का किया सामना, बनकर रहे विजेता

    उनकी लिखी हुई रचनाएँ, जन-मानस में छाएँ
    दीन दयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

    जनसंघी नेता थे जाने-माने रहे विचारक
    बने यहाँ अध्यक्ष पार्टी के सच्चे उद्धारक
    पत्रकार थे श्रेष्ठ और अद्भुत चिंतन था उनका
    था इतना व्यवहार मधुर वे हर लेते मन सबका

    भारत माता के सपूत वे, जो सद्भाव जगाएँ
    दीन दयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ।

    रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एड.
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली (उ.प्र.)
    मोबा. नं.- 98379 44187

  • माँ दुर्गा पर कविता -बाबूराम सिंह

    माँ दुर्गा पर कविता -बाबूराम सिंह

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं।

    माँ दुर्गा पर कविता -बाबुराम सिंह

    नित चरणों में रहे श्रध्दाभाव वर दो भक्ति अनन्य हो।
    मातेश्वरी तूं धन्य हो।।
    अज-जग में सर्वत्र माँ मै सुचि पांव की धूल रहूँ।
    सुवासित हो माता जीवन बनकर मै ऐसा फूल रहूँ।
    मानवता मर्यादा का अनूठा शुभ पावन कूल रहूँ।
    कुछ भी हो जाये मात तेरे भक्तों के समतूल रहूँ।
    करो दया भूल से कदापि अपराध ना जघन्य हो।
    मातेश्वरी तूं धन्य हो।।
    पथप्रदर्शक परम पावन सबके प्राण आधार तुम्हीं हो।
    सदगुण शील सत्य सार कीदेवी हो औ प्यार तुम्हीं हो।
    सुघड़ता कोमलताई पै करूणामयी असवार तुम्ही हो।
    लखचौरासी भवसागर भवकुपों की पतवार तुम्ही हो।
    माँ करूणा सागर से गहरा जिससे गहरा ना अन्य हो।
    मातेश्वरी तूं धन्य हो।।
    दमन शमन कुमार्ग काटती सदा क्लेश तुम्ही हो।
    धर्म रक्षकऔ जग तारन को हे माता अशेष तुम्ही हो।
    पतित पावन परमेश्वरी जन-जन की रत्नेश तुम्ही हो।
    कण-कणकी तारनहारी वरण-वरण के भेष तुम्ही हो।
    सुधा सरस तुम्ही माते तुम्ही शंख पंचजन्य हो।
    मातेश्वरी तूं धन्य हो।।
    पामर पतित हूँ मै माता चरणों निज लगा लेना।
    सुसुप्त हृदय के भावों को आलोकित कर जगा देना।
    भूल चूक क्षमा कर मुझको भी भव्य बना लेना।
    डगमग नईया भव सागर से खेके पार लगा देना।
    कुछऐसा करदो माता मिटजायें सभी दुख दैन्य जो।
    मातेश्वरी तूं धन्य हो ।।
    ———————————————–
    बाबूराम सिंह कवि
    बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032
    ———————————————–