धीरे धीरे पर कविता-मनोज बाथरे

धीरे धीरे पर कविता बिखरती हुई जिंदगीवीरान सी राहेंसमय गुजर रहा हैधीरे धीरेहम अपने अस्तित्व कीतलाश मेंनिकल पड़े उनराहों परमन विचलित हैउदास हैफिर भी कर रहे हैंमंजिलें तलाश हमधीरे धीरे

ख्याल पर कविता

ख्याल पर कविता पहली रोटीगाय को दीअंतिम रोटी कुत्ते कोकिड़नाल कोसतनजा भी डाल आयामछलियों कोआटा भी खिलायाश्राद्ध में कौवों को भीभौज करायानाग पंचमी परनाग को भीदूध पिलायाभुखमरी के शिकारवंचितों काख्याल…

मजबूरी पर कविता-मनोज बाथरे

मजबूरी पर कविता मजबूरी इंसान कोक्या से क्याबना देती हैकही ऊपर उठाती हैतो कहीझुका देती हैइन्ही के चलतेइंसान अपनीमजबूरी के चलतेएकदम हताश होजाता हैपर इससे निकलनेके लिएप्रयास बेहद जरूरी हैमनोज…

खुद की तलाश पर कविता-मनोज बाथरे

खुद की तलाश पर कविता जिंदगी में भीकैसे कैसेमोड़ आते हैंजिनमें कुछ लोगतो अपनीअलग पहचानबना लेते हैंऔर कुछ लोगगुमनामी के अंधेरों मेंको जाते हैंऔर फिरखुद की तलाशकरतें हैं।।

गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

गरीबी पर कविता गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमेंजो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँवाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है?…

दौसा की सैर

दौसा की सैर ??आइए आपकोहमारे यहाँ दौसा की सैरकरवादें ??मेरा जिला,मेरी बोली,मेरा गाँव ,संस्कृति,रीति,पर्यटन,इतिहास,फसलसब से रुबरू.....??..तो आइए??.? *दौसा दर्शन* ?बी.एल.शर्मा----?---- आओ सैर कराँ दौसा की,नामी बड़गूजर धौंसा की।सूप सो किल्लो…

खामोशियों पर कविता

खामोशियों पर कविता अपनी भावनाओं मेंख़ामोश विचारों सेरखकरमन को दूर देखामौन दरख्तो कोसिसकते हुए देखाहृदय से बिछुड़ती हुईभावनाओं की भावनाको देखाजो तलाश रही थीउन खामोशियों मेंअपनों को।।

जाति पर कविता

जाति पर कविता जातिजाती ही नहींबहुत हैं गहरीइसकी जड़ेंजिसे नितसींचा जाता हैउन लोगों द्वाराजिनकी कुर्सी कोमिलता है स्थायित्वजाति सेजिनका चलता है व्यवसायजाति सेजिन्हें मिला है ऊंचा रुतबाजाति सेजिन्हें परजीवी बनायाजाति…

इंतजार पर कविता

इंतजार पर कविता इंतजार है हमकोसुनहरे ख्वाबों कोहकीकत मेंबदलने काइंतजार है हमकोअपने अरमानों कोकुछ कर दिखाने काइंतजार है हमकोइस जहां कोसतरंगी बनाने कायह इंतजारसमय आने तकजारी रहेगा।।

हमारे लिए पर कविता

हमारे लिए पर कविता तुम हमारेलिए क्या होऔरहम तुम्हारे लिएक्या हैये दोनों एक दूसरे केपूरक हैंसिक्के के दो पहलूकी तरहहम तुम्हारे लिएजीते हैंऔरतुम हमारे लिएयही इस जहां कायथार्थ है।।