सिंहनाद छंद विनती (बासुदेव अग्रवाल)
अवतार नाथ अब धारो।
तुम भूमि-भार सब हारो।।
अवतार नाथ अब धारो।
तुम भूमि-भार सब हारो।।
हम विकास के पथ-अनुगामी।
सघन राष्ट्र के नित हित-कामी।।
श्री रामनवमी के अवसर पर यह रचना मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्रति जन जन की आस्था को समर्पित है।
रचना विधा – कविता
शीर्षक – जननायक राम
रचयिता – श्रीमती ज्योत्स्ना मीणा
इस कविता में वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को समाहित किया गया है |
आज जिंदगी बेमानी हो गई है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में जीवन के हर एक क्षण को नव वर्ष की तरह उत्सव के रूप में मनाने पर जोर दिया गया है |
हर एक दिन को नए वर्ष की – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”