सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी
सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी,
ओला जम्मो कोनो कइथे धान के कटोरा।
आवव छत्तीसगढ़िया आरुग मितान-संगवारी मन,
नवा छत्तीसगढ़ राज बनाय बर हावय।।1।।
बोली-भाखा, जाति-पाति, छुआछूत ल,
छोड़के कहन हमन हावन एखरेच संतान।
महानदी,इंद्रावती,अरपा,पैरी अऊ जोंक नदी म,
बांध बंधवा के जम्मो कोनो के खेत म पानी पहुंचाय बर हावय।।2।।
जम्मो आरुग बेरोजगार मन ल रोजगार मिला,
देवभोग अऊ सोनाखान के खनिज ल।
बिदेशी मन के हाथ खोदन नइ देवन,
एला हमीमन बासी नुन-चटनी खा के खोंदे बर हावय।।3।।
आरुग छत्तीसगढ़ के जम्मो कोनो मजदूर-किसान मन,
परेम-भाव ले मिर-जुल के के कमाही-खाही।
छत्तीसगढ़ महतारी के कोनो भी संतान ल,
भुख ले मरन नइ देवन बरोबर बांट के खाय बर हावय।। 4।।
धरती दाई ल मिर-जुल के करन सिंगार,
छत्तीसगढ़ महतारी के हरियर-हरियर लुगरा ल।
रुख-राई लगा के चारो कोति ल हरियर रख के,
महतारी के कोरा ल महर-महर महकाय बर हावय।।5।।
बईला-नांगर,चिखला-पानी ले मितानी बैठ के,
छत्तीसगढ़ के भुईयां म रिकीम-रिकीम के।
धान-चाउर उपजा के छत्तीसगढ़ ल,
एक सबृद्धशाली नवा राज बनाय बर हावय।।6।।
पुनीत राम सूर्यवंशी
ग्राम-लुकाउपाली छतवन