Author: कविता बहार

  • छत्तीसगढ़ महतारी पर कविता

    सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी, 
    ओला जम्मो कोनो कइथे धान के कटोरा।
    आवव छत्तीसगढ़िया आरुग मितान-संगवारी मन,
    नवा छत्तीसगढ़ राज बनाय बर हावय।।1।।

    बोली-भाखा, जाति-पाति, छुआछूत ल,
    छोड़के कहन हमन हावन एखरेच संतान।
    महानदी,इंद्रावती,अरपा,पैरी अऊ जोंक नदी म,
    बांध बंधवा के जम्मो कोनो के खेत म पानी पहुंचाय बर हावय।।2।।

    जम्मो आरुग बेरोजगार मन ल रोजगार मिला,
    देवभोग अऊ सोनाखान के खनिज ल।
    बिदेशी मन के हाथ खोदन नइ देवन,
    एला हमीमन बासी नुन-चटनी खा के खोंदे बर हावय।।3।।

    आरुग छत्तीसगढ़ के जम्मो कोनो मजदूर-किसान मन,
    परेम-भाव ले मिर-जुल के के कमाही-खाही।
    छत्तीसगढ़ महतारी के कोनो   भी संतान ल,
    भुख ले मरन नइ देवन बरोबर बांट के खाय बर हावय।। 4।।

    धरती दाई ल मिर-जुल के करन सिंगार,
    छत्तीसगढ़ महतारी के हरियर-हरियर लुगरा ल।
    रुख-राई लगा के चारो कोति ल हरियर रख के,
    महतारी के कोरा ल महर-महर महकाय बर हावय।।5।।

    बईला-नांगर,चिखला-पानी ले मितानी बैठ के,
    छत्तीसगढ़ के भुईयां म रिकीम-रिकीम के।
    धान-चाउर उपजा के छत्तीसगढ़ ल,
    एक सबृद्धशाली नवा राज बनाय बर हावय।।6।।
                 

           पुनीत राम सूर्यवंशी
           ग्राम-लुकाउपाली छतवन

  • अनेकता में एकता कविता- डॉ एन के सेठी

    अनेकता में एकता कविता

                              (1)
    हमे वतन  से प्यार है ,भारत  देश  महान।
    अनेकता में एकता ,  इसकी है पहचान।।
    इसकी  है  पहचान ,  ये  है  रंग  रंगीला।
    मिल जाते सबरंग , गुलाबी नीला पीला।।
    कहे नवलनवनीत ,महिमा बड़ीअपार है।
    संस्कृतिहै प्राचीन ,हमको इससे प्यार है।।


                   
                             (2)
    नाना संस्कृतियां यहाँ,विविध धर्म के लोग।
    मिलजुलकर रहते सभी,नदी नाव संजोग।।
    नदी  नाव  संजोग , विविध है भाषा भाषी।
    जाति पाति हैं भिन्न,सभी है हिन्द निवासी।।
    कहे  नवल  कविराय , नही  कोई  बेगाना।
    संस्कृतियों के रंग , खिले  बिखरे  है नाना।


                   
                              (3)
    ईद दीवाली क्रिसमस,मिलकर सभी मनाय।
    वसुधा ही परिवार है , दिल मे सभी बसाय।।
    दिल मे  सभी  बसाय, ना  ही  कोई  पराया।
    मातृभूमि का प्यार,दिलों मे सबके समाया।।
    सभी  वर्ण  संयोग , भारती  मात  निराली।
    सभी  हिन्द  में  रोज , मनाते  ईद दिवाली।।


               
                         (4)
    कहींनिर्गुण कहींसगुण,आस्तिक नास्तिक भेद।
    सभी मानते एक को , मिट जाय सब द्वैध।।
    मिट  जाय  सब  द्वैध ,भेद  सारे  हट  जाए।
    दृष्टिगत अनेकत्त्व , अखंड भाव आ जाए।।
    कहत नवल कविराय , है  ऐसी भारत मही।
    अनेकत्त्व  में  एक , नही  ऐसा  ओर कहीं।।

                ©डॉ एन के सेठी
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  • मोर मया के माटी-राजेश पान्डेय वत्स

    मोर मया के माटी


    छत्तीसगढ़ के माटी
    अऊ ओकर धुर्रा।

    तीन करोड़ मनखे
    सब्बौ ओकर टुरी टुरा।। 

    धान के बटकी कहाय,
    छत्तीसगढ़ महतारी।

    अड़बड़ भाग हमर संगी
    जन्में येकरेच दुआरी।। 

    एकर तरपांव धोवय बर
    आइन पैरी अरपा।

    महानदी गंगा जईसन
    खेत म भरथे करपा।। 

    मया के बोली सुनबे सुघ्घर
    छत्तीसगढ़ म जब आबे।

    अही म जनमबे वत्स तैं, 
    मनखे तन जब पाबे।। 

    —-राजेश पान्डेय वत्स
    ०१/११/२०१९
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  • प्रेम का मर जाना

    प्रेम का मर जाना

    डॉ सुशील शर्मा

    प्रेम का मरना ही आदमी का मरना है
    जब प्रेम मरा था तो
    बलि प्रथा सती प्रथा उगी थीं
    प्रेम के मरने पर ही
    धरती की सीमायें सिमट जातीं है।
    महाद्वीप ,देश ,प्रदेश ,भाषाओं
    जाति समुदाय ,मनुष्य ,जानवर का भेद होता है।

    प्रेम मरता है तो
    हिटलर ,मुसोलिनी ,औरंगजेब
    बगदादी ,ओसामा पैदा होते हैं।
    प्रेम मरता है तो
    मंदिर ,मस्जिद ,चर्च में
    ईश्वर की जगह साँप बैठ जाते हैं।

    प्रेम मरता है तो
    आतंकवादी हमले, सेक्स
    गुलामी, नस्लवाद,
    दुनिया में भूख से मरते हुए लोग जिन्दा होते हैं।
    प्रेम के मरने पर
    स्नेह ,संकल्प , साधना ,
    आराधना , उपासना
    सब वासना बन जाते हैं।

    आइये हम सब कोशिश करें
    ताकि प्रेम जिन्दा रहे
    और हमारा अस्तित्व बना रहे
    हमारा शरीर भले ही मर जाए
    किन्तु हम जिन्दा रहें मानवता में
    अनंत युगों तक।

    डॉ सुशील शर्मा

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  • छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    चलो नवा सुरुज परघाना हे

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    छत्तीसगढ़ राज्य पायेहन
    चलो नवा सुरुज परघाना हे !
    भारत माता के टिकली सहिक….
    छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !!

    जेन सपना ले के राज बने हे
    साकार हमला करना हे!
    दिन -दुगनी ,रात -चौगुनी
    आगे -आगे बढ़ना हे !
    सरग असन ये भुईया ल….
    चक- चक ले चमकाना हे!!

    मिसरी असन भाखा हे
    मीठ -बोली- जबान हे ,
    दया-मया अंचरा में बांधे,
    छत्तीसगढ़ीया के पहिचान हे !
    दूध बरोबर उज्जर मन हे….
    नई जाने कपट – बहाना हे !!

    जांगर टोर कमा -कमा के
    धरती ले सोना ऊपजाथे न
    एको सुख ल नई जाने ,
    परबर महल बनाथे न !
    परे -डरे बिछड़े मनखे ल….
    उखर अधिकार दिलाना हे !!

    सबो बर रोजगार रहे
    न करजा कोनो ऊधार रहे ,
    सुन्ना कोनो न चुलहा रहे
    लांघन न कोई परिवार रहे!
    भारत माता के ये बेटी ल……
    दुल्हीन सहीक सम्हराना हे!!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगांव (छ. ग.)
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