हरि का देश छत्तीसगढ़
आर्यावर्त के हृदय स्थल पर
छत्तीसगढ़ एक नगर महान।
कर्मभूमि रही श्रीराम प्रभु की
संत गाहीरा,घासीदास बड़े विद्वान।
संस्कृति यहाँ की युगों पुरानी
अदृतीय धरा यह पावन धाम ।
यहाँ धर्म की गंगा अविरल बहती
कहता है सब वेद पुराण ।
नित दिन बरसे यहाँ हरि कृपा
लोग प्रेम सुधा का करें रसपान।
जीवन धन्य हो जाता उनका
इस पावन प्रदेश में जो आते हैं
अद्वितीय नगर इस छत्तीसगढ़ को
लोग हरि का देश बुलाते हैं ।।
प्राकृतिक छटा है अद्भुत मनोहारी
सैलानी करते यहाँ वन विहार।
कल-कल झरनें सुरम्य हैं दिखते
नित दिन उर्वी इसे रही सँवार।
कैलाश गुफा बमलेश्वरी मंदिर
माँ दंतेश्वरी भी कर रहीं श्रृंगार।
महानदी, नर्मदा, गोदावरी
गंगा की यहाँ बहती पावन धार।
प्रभु के हाथों इस रचित प्रदेश में
मिलता है हर प्राणी को प्यार ।
सफल हो जाता जीवन उनका
जो यहाँ विहार को आते हैं ।
अद्वितीय नगर इस छत्तीसगढ़ को
लोग हरि का देश बुलाते हैं ।।
धर्म,कला,इतिहास यहाँ का
लगता है कितना प्यारा ।
फुगड़ी,लंगड़ी अटकन-बटकन का
खेल जगत में है न्यारा ।
लहगा,साया,लुगरी पहनावा
लुरकी,तिरकी,झुमका,सूर्रा ।
पपची,खुरमी,सोहरी,ठेहरी
चिला,पकवान को खाये जगत जहान।
मुरिया,बैगा,हल्बा जनजाति
मंझवार,नगेशिया,और महार।
साबूदाने की प्रसिद्ध खिचड़ी का
स्वाद जो लोग चख जाते हैं।
अद्वितीय नगर इस छत्तीसगढ़ को
लोग हरि का देश बुलाते हैं ।।
लोकगीतों का राजा ददरिया
भाव विभोर कर देता है ।
लोरिक-चंदा की प्रेम कथा
मनमोह मनुज का लेता है।
सन्यास श्रृंगार की लोककथा
मन में अमृत रस घोल देता है ।
प्रसिद्ध बाँस गीत जो अनुपम
हर मनुष्य का मन हर लेता है।
रहस रासलीला भी अद्भुत
सभी को चकित कर देता है ।
विश्व प्रसिद्ध बस्तर मेला जो
एक बार घूम आते है ।
अद्वितीय नगर इस छत्तीसगढ़ को
लोग हरि का देश बुलाते हैं ।।
बाँके बिहारी बरबीगहीया
बिहार
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद