साँझ के हाइकु
1
साँझ महके
प्रिया जूड़े में फँसा
पिया को ताके ।।
2
साँझ पुकारे
सूर्य शर्म से लाल
चाँद जो झाँके ।।
3
साँझ का सूर्य
बूढ़े की सुनो कोई
देर क्यों हुई ?
4
रातें डराती
प्रभू भजने लगी
संध्या की ज्योति ।।
5
साँझ का मन
थका , बुझा, रूठा सा
पार्टी हो जाए ।।
6
साँझ का गीत
मन चाहता मीत
बढ़ा लें प्रीत ।।
7
अच्छा दिन था
साँझ खुशी से लौटा
कल की चिंता ।।
8
लोग लौटते
संध्या विदा कर के
थके सो गए ।।