जय हो तेरी बाँके बिहारी
माँखन तुमने बहुत चुराए,
बांसुरी तुमने बहुत बजाए,
गोपियों को तुम बहुत सताए,
माँ को उलहन बहुत सुनाए,
ऐसी लीला करके गिरधर,
पावन कर दीए धरा हमारी,
जाऊँ मैं तुझपे बलिहारी,
जय हो तेरी बाँके बिहारी ।।
बचपन में पुतना को मारे,
कालिया नाग को भी उद्धारे
अमिट कर दीए सुदामा की मित्रता,
गुरु सांदीपनी की अनुपम पवित्रता,
मथुरा पधारे कंश संहारे,
कंश संहार कर हे प्रिय केशव,
धन्य कर दीए मथुरा सारी,
जय हो तेरी बाँके बिहारी ।।
बड़ा हुए तो माखन छुटा ,
गोपियों से भी नाता टुटा,
याद में रोयें राधा प्यारी,
बांसुरी का भी धुन था न्यारी,
कहाँ छोड़ चले ओ माधव,
याद कर रहीं सखी तुम्हारी,
रास रचैया रास बिहारी,
जय हो तेरी बाँके बिहारी ।।
धृतराष्ट्र की सभा में देखो,
दुराचारों का भीड़ है भारी,
बीच सभा में ओ मोहन,
खींच रहा है चीर हमारी,
अब देर मत करो मदन मुरारी,
बचाओ आकर लाज हमारी,
लीलाधर गोवर्धनधारी ,
जय हो तेरी बाँके बिहारी ।।
बाँके बिहारी बरबीगहीया