आओ मिलकर पेड़ लगाएं

सूनी धरा को फिर खिलाएं
धरती मां के आंचल को हम
रंगीन फूलों से सजाएं
आओ मिलकर पेड़ लगाएं।।
न रहे रिश्तों में कभी दूरियां
चाहे हो गम चाहे मजबूरियां
मिलकर घर सब सजाएं
आओ मिलकर पेड़ लगाएं।।
वन की सब रखवाली करें
सूखे लकड़ियो से काम चलाएं
कैसे न खुश होंगी फिजाएं
आओ मिलकर पेड़ लगाएं।।
अगर करोगे वन विनाश
बीमारियों का घर में होगा वास
भू में स्वच्छ वातावरण बनाएं
आओ मिलकर एक पेंड लगाएं।।
क्रान्ति, सीतापुर, सरगुजा छग