सनातन धर्म पर कविता

सनातन धर्म पर कविता राम देश को देखकर आगे बढ़े सनातनधर्म हिन्दी भारतवर्ष महानके लिये।देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये। स्वदेश की रक्षा में जन-जन रहे तत्पर।सदभाव विश्वबंधुत्व…

गणेश- मनहरण घनाक्षरी

गणपति गणेश- मनहरण घनाक्षरी ब्रह्म सृष्टिकार दैव,भूमि रचि हेतु जैव,मातृभूमि भार पूर्ण,धारे नाग शेष है। शीश काटे पुत्र का वे,क्रोध मिटे हुआ ज्ञान,हस्ति शीश रोपे शिव,दैवीय निवेश हैं। पार्वती सनेह…
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मच्छर पर कविता /पद्म मुख पंडा

मच्छर पर कविता/ पद्म मुख पंडा कविता संग्रह ये मच्छर भी? न दिन देखते, न रात,ये आवारा मच्छर,करते हैं, आघात मुंह से,जहरीले तरल पदार्थ,मानव शरीर के अंदर,डालकर, चंपत हो जाते…

हरतालिका पर कविता

कविता संग्रह हरतालिका वर्षा में मन भावन,माह भाद्रपद पावन,उमा सा सुहाग संग,चाहे तिय बालिका। तृतीया शुक्ल पक्ष में,नक्षत्र हस्त कक्ष में,पूजे सबलाएँ सत्य,पार्वती प्रणपालिका। धारती कठोर प्रण,निर्जला चखे न तृण,पूर्ण…

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

कविता संग्रह बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय…

तीजा पोरा के दिन आगे

छत्तीसगाढ़ी रचना तीजा पोरा के दिन आगे तीजा पोरा के दिन आगे चलो मइके दुआरी माउहाँ दाई डहर देखे अपन चढ़के अटारी मा । गुड़ी मा बैठ के रद्दा निहारत…

पोरा तिहार

पोरा तिहार छत्तीसगढ़ के परब आगे,हिरदे मा ख़ुशी छा गे गा।माटी के बइला ला भरले,पोरा तिहार मना ले गा।काठा भर पिसान सान ले,ठेठरी खुरमी बना ले गा।पोरा तिहार के परम्परा…

विनोद सिल्ला की कविता

भाईचारा पर कविता कविता संग्रह मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारानिभाने सेमना कर दिया थी उनकी मनसामैं उनकोभाई बनाऊंवे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला मेरा कुसूर मैं था कठघरे मेंदागे…

भ्रमर दोहे – बाबूराम सिंह

भ्रमर दोहे आगे-आगे जा करे,जो सुधैर्य से काम।बाढे़ चारो ओर से , ढे़रों नेकी नाम।।प्यासेको पानी पिला,भूखेको दोभीख।वेदों शास्त्रोंका यहीं,लाखों में है सीख।।जाने माने लोग भी ,हो जाते हैं फेल।पूर्ण…

प्रेम के गीत – बाबूलाल शर्मा विज्ञ

कविता संग्रह प्रेम के गीत - बाबूलाल शर्मा लिखे प्रेम के गीत सुहाने।रीति सनातन मीत निभाने।।'विज्ञ' बने मन मीत हमारे।प्रीति निभे सद्भभाव विचारे।।१कर मात्रा का ज्ञान रचें कवि।'विज्ञ' सृजन करते…