Category हिंदी कविता

माघ शुक्ल शीतला छठि पर कविता

माघ शुक्ल शीतला छठि पर कविता माघ शुक्ल की छठि तिथी ,से ठंडी का अन्त ।इसे शीतला छठि कहें ,जानकार सब सन्त।।इस छठि का व्रत लाभप्रद,नारी को है खास।दैहिक-दैविक ताप से,मुक्ती बिना प्रयास।।मातु शीतला की कृपा,संतति करे प्रदान।देता है सौभाग्य…

सभी विद्या की खान है माता

सभी विद्या की खान है माता सभी विद्या, सुधी गुण की,अकेली खान है माता।इन्हे हम सरस्वती कहते,यही सब ज्ञान की दाता।इन्हे तो देव भी पूजें,पड़े जब काम कुछ उनका-सदा श्रद्धा रहे जिसमे,इन्हे वह भक्त है भाता। सदा माँ स्वेत वस्त्रों…

माँ गंगा पर कविता

माँ गंगा पर कविता कलयुग के अत्याचारों को देख, माँ गंगा पुकारे….वर्षों के पावन तप से , मैं इस धरती पर आयी।पर आज मनुज ने देखो, मेरी कैसी गति बनायी।निर्मल थी मैं मैली हो गयी, तुम सबके कुकृत्यों से।कूड़े- कचरे…

देश पर कविता

देश पर कविता हे ! मातृभूमि तेरी रक्षा में,हम अपना प्राँण लुटाएंगे।तन-मन-धन सब अर्पित कर,हम तेरा मान बढ़ाएंगे। देश के खातिर कफन बाँधके, सरहद पर सब डट जाएँगे। समय आए जब आहुति का, तब प्राँण होम कर जाएंगे। पले-बढ़े जिस…

आया रे आया बसंत आया

आया रे आया बसंत आया आया रे आया बसंत आयाआया रे आया बसंत आया।पेड़-पौधों के लिये खुशहाली लेकर आया।।आया रे आया बसंत आया। चारों तरफ छायी है खुशियाली।पेडो़ पर आयी है नयी हरियाली।।आया रे आया बसंत आया। आने वाली है…

आया बसंत- कविता चौहान

आया बसंत आया बसंत आया बसंत, आया बसंतछाई जग में शोभा अनंत।चारों ओर हरियाली छाईजब बसंत ऋतु है आई।रंग बिरंगे फूल खिलाएखेतों पर सरसों लहराए।फूलों पर भोरे मंडराएजब बसंत ऋतु है आए। सूरज की लाली सबको भाए।देख बसंत, शाखाएं लहराए।देख…

शिव में शक्ति पर कविता

शिवशक्ति की वंदना प्रस्तुत कविता शिव में शक्ति पर कविता भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

प्रणय मिलन कविता-सखि वसंत में तो आ जाते

प्रणय मिलन कविता-सखि वसंत में तो आ जाते- डॉ सुशील शर्मा सखि बसंत में तो आ जाते।विरह जनित मन को समझाते।         दूर देश में पिया विराजे,       प्रीत मलय क्यों मन में साजे,       आर्द्र नयन टक टक पथ देखें       काश…

ज्ञान दो वरदान दो माँ

ज्ञान दो वरदान दो माँ सत्य का संधान दो।बिंदु से भी छुद्रतम मैंकृपा का अवदान दो। अवगुणों को मैं समेटेमाँ पतित पातक हूँ मैं।मोह माया से घिरा हूँ,निपट पशु जातक हूँ मैं।अज्ञानता मन में बसाये ।अहम,झूठी शान हूँ मैं।लाख मुझ…