प्रकृति का इंसाफ- मोहम्मद अलीम
प्रकृति का इंसाफ 1.उदयाचल से अस्ताचल तक,कैसी ये वीरानी है |उत्तर से दक्षिण तक देखो ,मानव माथ पर परेशानी है || 2. पूरब से चली दनुज पुरवाई ,मानव मानव का नाशक बनकर |खड़ा है द्वारे एक विषाणुसृष्टि में नर पिशाचक…
प्रकृति का इंसाफ 1.उदयाचल से अस्ताचल तक,कैसी ये वीरानी है |उत्तर से दक्षिण तक देखो ,मानव माथ पर परेशानी है || 2. पूरब से चली दनुज पुरवाई ,मानव मानव का नाशक बनकर |खड़ा है द्वारे एक विषाणुसृष्टि में नर पिशाचक…
भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं…
अलविदा मेरे चाहने वाले जब उसने ही छोड़ दिया मुझको मेरे हवालेतुम्हीं बताओ फिर मुझको कौन संभाले??? अब फिर किसी पे ऐतबार न होगाकरीब आने के चाहे कोई सौ तरकीब निकाले। जिसने खो दी अपने जीने की वजहउसे ख़्वाब दिखाते…
गीता ग्रंथ में उल्लेखित महत्वपूर्ण बातों को आधार मानकर लिखी गई कविता
दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता
मुझे समझा रही थी वो बहुत मासूम लहजे में, बड़े नाज़ुक तरीके सेमेरे गालों पे रखके हाथ समझाया था उसने येसुनो इक बात मानोगे,अगर मुझसे है तुमको प्यार,तो इक एहसान कर देनाजो मुश्किल है,मेरी ख़ातिर उसे आसान कर देना…अब इसके…
वर्तमान परिस्थितियों में कवियों की सम्मान के प्रति अति मोह पर व्यंग्य करती कविता
बचपन को आधार मानकर लिखी गई मनीभाई नवरत्न की तांका आप के समक्ष प्रस्तुत
आत्म व्यंग्य पर कविता आत्म विज्ञापन अधिक तो,लेखनी कमजोर है,गीत गूँगे हो रहे हैं,बक रहा बस शोर है ।। टिमटिमाते बुझ रहे हैं, नेह के दीपक यहाँ।और नफरत का अँधेरा, छा रहा घनघोर है ।। रात रोती, चाँद तारे हैं…
यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मां पर कविता वो…