हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया
हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।तोर हाँथ जोरत हँव तोर पाँव परत हँव आगी झन बरसा।।चिरई चिरगुन के खोंधरा तिप गे अंड़ा घलो घोलागे।नान्हे चिरई उड़े बर सीखिस ड़ेना ओकर भुंजागे।रूख राई जम्मो झवांगे…
हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया हे सुरूज देंवता अतका झन ततिया।तोर हाँथ जोरत हँव तोर पाँव परत हँव आगी झन बरसा।।चिरई चिरगुन के खोंधरा तिप गे अंड़ा घलो घोलागे।नान्हे चिरई उड़े बर सीखिस ड़ेना ओकर भुंजागे।रूख राई जम्मो झवांगे…
मुहब्बत में ज़माने का यही दस्तूर होता है जिसे चाहो नज़र से वो ही अक्सर दूर होता हैमुहब्बत में ज़माने का यही दस्तूर होता हैबुलंदी चाहता पाना हरिक इंसान है लेकिनमुकद्दर साथ दे जिसका वही मशहूर होता है । सभी…
गर्दिश में सितारे हों गर्दिश में सितारे हों जिसके, दुनिया को भला कब भाता है,वो लाख पटक ले सर अपना, लोगों से सज़ा ही पाता है। मुफ़लिस का भी जीना क्या जीना, जो घूँट लहू के पी जीए,जितना वो झुके…
नज़र आता है हर अक्स यहाँ बेज़ार नज़र आता है,हर शख्स यहां लाचार नज़र आता है। जीने की आस लिए हर आदमी अब,मौत का करता इंतजार नज़र आता है। काम की तलाश में भटकता रोज यहाँहर युवा ही बेरोजगार नज़र…
कब कैसे क्या बोले ? वाणी एक दुधारू तलवार की तरह है।उचित प्रयोग करे तो अच्छा,नहीं तो बुरा।अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।ज्ञान की बात को सहेजकर रखते है।कब कैसे क्या बोले पता नहीं।जुबान फिसली तो रुका नहीं।मन को शांति…
कर्मठता की जीत स्वाभिमान मजबूत है , पोषण का है काज ।बैठ निठल्ला सोचता , बना भिखारी आज ॥लाचार अकर्मण्यता , मंगवा रही भीख ।काज बिना कर के करे , कुछ तो उससे सीख ॥आलसी लाचार बने , करे गलत…
आओ सब मिल कर संकल्प करें आओ सब मिल कर संकल्प करें।चैत्र शुक्ल नवमी है कुछ तो, नूतन आज करें।आओ सब मिल कर संकल्प करें॥मर्यादा में रहना सीखें, सागर से बन कर हम सब।हम इस में रहना सिखलाएं, तोड़े कोई…
हां मै कवि हूं जीने की राह दिखाता हूं।अपनी लेख से,लोगो को जगाता हूं।हा मै कवि हूं………रूठे मन को मनाता हूं।हास्य कविता लिखकरआम जनों को हसाता हूं।हां मै कवि हूं………कभी प्रकृति सौंदर्य।कभी श्रृंगार रस पर,नारी का वर्णन करता हूं।हां मै…
नमन हे विश्ववन्दनीय महावीर त्याग और अहिंसा की मूर्ति है महावीर।क्षमा और करूणा का सागर है महावीर।दर्शन ज्ञान चरित्र की ज्योति है महावीर।‘रिखब’का नमन हे विश्ववन्दनीय महावीर!राजा सिद्धारथ के घर जन्में,माता जिसकी त्रिशला रानी।तीर्थंकर प्रभु की याद दिलाने,आई प्यारी महावीर…
मैं भुंइया अंव बछर- बछर ले पानी पीएव ,मोर कोरा के सुखला भोगेव,रोवत हे तुंहर महतारी ,मोर लइका मन अब तो चेतव,सब के रासा -बासा मोर संग,मैं जग के सिरजइया अंव।मैं भुंइया अंव, मै भुंइया अंव।मोर कोरा मा उपजेव खेलेव,जिनगी…