Category हिंदी कविता

काली कोयल

काली कोयल कोयल सुन्दर काली -काली,हरियाले बागों की मतवाली।कुहू-कूहू करती डाली-डाली,आमों के बागों मिसरी घोली। ‘चिड़ियों की रानी’ कहलाती,पंचमसुर में तुम राग सुनाती।हर मानव के कानों को भाती,मीठी बोली से मिठास भरती। मौसम बसंत बहुत सुहाना,काली कोयल गाती तराना।रूप तुम्हारा…

भावना तू कौन है ?

भावना तू कौन है ? क्रोध लोभ हास मेरात में प्रकाश मेंराग और द्वेष मेंप्रीत नेह क्लेश मेंदेखता हूँ मौन हैभावना तू कौन है? भय अभय चित्त मेंहार में व जीत मेंभूख और प्यास मेंदूर हो या पास मेंदेखता हूँ…

अपनापन पर कविता

अपनापन पर कविता अपनापन ये शब्द जहां काहोता सबसे अनमोलप्यार नेह से मिल जातासंग जब हों मीठे बोल। अपनापन यदि जीवन में होहर लम्हा रंगे बहारअपने ही गैर बन जाएं तोग़म का दरिया है संसार। अपनेपन की अभिलाषी थीमैं अपनों…

मातृभूमि पर कविता

मातृभूमि पर कविता मातृभूमि के लिये नित्य ही,अभय हो जीवन दे  दूंगा ।तन ,मन , धन निस्वार्थ भाव,सर्वस्व समर्पित  कर   दूंगा। जिस  मातृभूमि में जन्म लिया है,जिसके  अंक  नित  खेल    हूँ।शिवा जी दधीचि की मिट्टी   कामत   भूलो मैं    चेला        हूँ।…

चक्रव्यूह में फंसी बेटी- कृष्ण सैनी

चक्रव्यूह में फंसी बेटी                       (1)बर्फीली सर्दी में नवजात बेटी को,जो छोड़ देते झाड़ियों में निराधार।वे बेटी को अभिशाप समझते,ऐसे पत्थर दिलों को धिक्कार।                    (2)जो कोख में ही कत्ल करके भ्रूण,मोटी कमाई का कर रहे व्यापार।निर्दयी माता-पिता फोड़े की तरह,गर्भपात…

अंतरतम पीड़ा जागी

अंतरतम पीड़ा जागी खोया स्वत्व दिवा ने अपनाअंतरतम पीड़ा जागीघूँघट हैं छुपाये तब तब हीधडकन में व्रीडा जागी । अधर कपोल अबीर भरे सेसस्मित हास् लुटाती सीसतरंगी सी चुनर ओढ़ेद्वन्द विरोध मिटाती सीथाम हाथ  साजन के कर मेंसकुचाती अलबेली सीसिहर…

कोयल रानी

कोयल रानी ओ शर्मीली कोयल रानी आज जरा तुम गा दो ना।आम वृक्ष के झुरमुट में छुपकर मधुर गीत सुना दो ना।। शीतल सुरभित मंद पवन है और आम का अमृतरस ।आम से भी मीठी तेरी बोली सुनने को जी…

भग्नावशेष

भग्नावशेष ये भग्नावशेष है।यहाँ नहीं था कोई मंदिरन थी कोई मस्जिद ।न ही यह किसी राजे महाराजों  कीमुहब्बत का दिखावा था।यहाँ नहीं कोई रंगमहलन ही दीवाने आमदीवाने खास। न ही स्नानागार न स्विमिंग पूल।न खिड़की न झरोखे।न झालरें।न कुर्सियाँ न…

बसंत आया दूल्हा बन

बसंत आया दूल्हा बन      बसंत आया दूल्हा बन,बासंती परिधान पहन।उर्वी उल्लासित हो रही,उस पर छाया है मदन।। पतझड़ ने खूब सताया,विरहा में थी बिन प्रीतम।पर्ण-वसन सब झड़ गये,किये क्षिति ने लाख जतन।। ऋतुराज ने उसे मनाया,नव कोपलें ,नव…

ऋतुराज बसंत

ऋतुराज बसंत ऋतुराज बसंत प्यारी-सी आई,पीले पीले फूलों की बहार छाई।प्रकृति में मनोरम सुंदरता आई,हर जीव जगत के मन को भाई। वसुंधरा ने ओढ़ी पीली चुनरिया,मदन उत्सव की मंगल बधाइयाँ ।आँगन रंगोली घर द्वार सजाया,शहनाई ढ़ोल संग मृदंग बजाया ।…