अंतरतम पीड़ा जागी
अंतरतम पीड़ा जागी खोया स्वत्व दिवा ने अपनाअंतरतम पीड़ा जागीघूँघट हैं छुपाये तब तब हीधडकन में व्रीडा जागी । अधर कपोल अबीर भरे सेसस्मित हास् लुटाती सीसतरंगी सी चुनर ओढ़ेद्वन्द विरोध मिटाती सीथाम हाथ साजन के कर मेंसकुचाती अलबेली सीसिहर…
अंतरतम पीड़ा जागी खोया स्वत्व दिवा ने अपनाअंतरतम पीड़ा जागीघूँघट हैं छुपाये तब तब हीधडकन में व्रीडा जागी । अधर कपोल अबीर भरे सेसस्मित हास् लुटाती सीसतरंगी सी चुनर ओढ़ेद्वन्द विरोध मिटाती सीथाम हाथ साजन के कर मेंसकुचाती अलबेली सीसिहर…
कोयल रानी ओ शर्मीली कोयल रानी आज जरा तुम गा दो ना।आम वृक्ष के झुरमुट में छुपकर मधुर गीत सुना दो ना।। शीतल सुरभित मंद पवन है और आम का अमृतरस ।आम से भी मीठी तेरी बोली सुनने को जी…
भग्नावशेष ये भग्नावशेष है।यहाँ नहीं था कोई मंदिरन थी कोई मस्जिद ।न ही यह किसी राजे महाराजों कीमुहब्बत का दिखावा था।यहाँ नहीं कोई रंगमहलन ही दीवाने आमदीवाने खास। न ही स्नानागार न स्विमिंग पूल।न खिड़की न झरोखे।न झालरें।न कुर्सियाँ न…
बसंत आया दूल्हा बन बसंत आया दूल्हा बन,बासंती परिधान पहन।उर्वी उल्लासित हो रही,उस पर छाया है मदन।। पतझड़ ने खूब सताया,विरहा में थी बिन प्रीतम।पर्ण-वसन सब झड़ गये,किये क्षिति ने लाख जतन।। ऋतुराज ने उसे मनाया,नव कोपलें ,नव…
ऋतुराज बसंत ऋतुराज बसंत प्यारी-सी आई,पीले पीले फूलों की बहार छाई।प्रकृति में मनोरम सुंदरता आई,हर जीव जगत के मन को भाई। वसुंधरा ने ओढ़ी पीली चुनरिया,मदन उत्सव की मंगल बधाइयाँ ।आँगन रंगोली घर द्वार सजाया,शहनाई ढ़ोल संग मृदंग बजाया ।…
ऋतुराज का आगमन ऋतुराज बसंत लेकर आयेवसंत पंचमी, शिवरात्रि और होलीआ रही पेड़ों के झुरमुट सेकोयल की वो मीठी बोली । बौरों से लद रहे आम वृक्षहै बिखर रही महुआ की गंधनव कोपल से सज रहे वृक्षचल रही वसंती पवन…
सुंदर पावन धरा भारती सुंदर पावन धरा भारती ।आओ उतारें हम आरती ••२ नवचेतना के द्वार खोल अबसुनें कविता सृजन की आवाजखत्म हो हैवानियत की इन्तहांइंसानियत का ही हो आगाजसुंदर पावन धरा भारती ।आओ उतारें हम आरती ••२ नतमस्तक हो…
जब याद तुम्हारी आती है जब याद तुम्हारी आती हैमन आकुल व्याकुल हो जाता हैतुम चांद की शीतल छाया होतुम प्रेम की तपती काया हो। तुम आये भर गये उजालेसफल हुए सपने जो पालेद्वार हंसे, आंगन मुसकायेभाग्य हो गये मधु…
नयनों की भाषा तुमने चाहा थामैं कुछ सीखूँकुछ समझूँकुछ सोचूँपर जब मैंनेकुछ सीखाकुछ समझाकुछ सोचातब तक बहुत देरहो चुकी थी,मेरे जीवन केअनेक फासलेतय हो चुके थेजिन्दगी नये राह पर थी । आजजब तुम अचानकमेरे सामने आईमुझे देखकरधीरे से मुस्कायेथोडी सकुचाईथोडी…
दौलत की भूख आया कैसा नया ज़मानादौलत आज सभी को पानायह एक ऐसी भूख हैरिश्तों की बेल जाती सूखकिसी की परवाह न करे इंसान झूठ बोलने में माहिर हुआकुत्सित काम है बात आमलालच ने यूं अंधा कियाभ्रष्टाचार अंदर तक पनपासारे…