काश मेरा भी भाई होता !! रक्षाबंधन पर कविता
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ ।। रक्षाबंधन पर बहन के तरफ से भाई के लिए प्रेम भावना प्रकट किया है ।।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ ।। रक्षाबंधन पर बहन के तरफ से भाई के लिए प्रेम भावना प्रकट किया है ।।
वीर बालक हम प्रभात की नई किरण हैं,हम दिन के आलोक नवल।हम नवीन भारत के सैनिक,धीर, वीर, गम्भीर, अचल।हम प्रहरी ऊँचे हिमाद्रि के,सुरभि स्वर्ग की लेते हैं।हम हैं शांति-दूत धरणी के,छाँह सभी को देते हैं।वीर-प्रसू माँ की आँखों के,हम नवीन…
सुख-शांतिमय संसार हो सुख-शांतिमय संसार हो। पशु-शक्ति का न प्रयोग हो, सद्भाव का उपयोग हो, सबसे सदा सहयोग हो, निज चित्त पर निज वित्त पर सबका सदा अधिकार हो,सुख-शांतिमय संसार हो। व्यक्तित्व का सम्मान हो,निज देश का अभिमान हो,पर विश्व-हित…
हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल हम उजाला जगमगाना चाहते हैंअब अँधेरे को हटाना चाहते हैं। हम मरे दिल को जिलाना चाहते हैं,हम गिरे सिर को उठाना चाहते हैं। बेसुरा स्वर हम मिटाना चाहते हैं।ताल-तुक पर गान गाना चाहते…
सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी आओ, हम सब भारत मां की माटी से श्रृंगार करें! यह वह धरती, जिसने हमको निज उत्सर्ग सिखाया है,यह वह धरती, जिसने हमको अपना अमिय पिलाया है।आज उसी धरती की रक्षा में अपने उद्गार…
हम होंगे कामयाब – गिरिजाकुमार माथुर हम होंगे कामयाब,हम होंगे कामयाब,हम होंगे कामयाब एक दिन,मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास,हम होंगे कामयाब एक दिन होगी शान्ति चारों ओर,होगी शान्ति चारों ओर,होगी शान्ति चारों ओर एक दिन,मन में है विश्वास,…
माँ! बस यह वरदान चाहिए माँ बस यह वरदान चाहिए।जीवन-पथ जो कंटकमय हो, विपदाओं का घोर विलय हो।किन्तु कामना एक यही बस, प्रतिपल पग गतिमान चाहिए। माँ … हास मिले या त्रास मिले, विश्वास मिले या फास मिले।गरजे क्यों न…
हरिवंशराय बच्चन की १० लोकप्रिय रचनाएँ सादर प्रस्तुत हैं आत्मपरिचय / हरिवंशराय बच्चन मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकरमैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!…
उठो स्वदेश के लिए -वंशीधर शुक्ल उठो स्वदेश के लिए, बने कराल काल तुम,उठो स्वदेश के लिए, बने विशाल ढाल तुम! उठो हिमाद्रि शृंग से, तुम्हें प्रजा पुकारती,उठो प्रशस्त पन्थ पर, बढ़ो सुबुद्ध भारती!जगो विराट देश के, तरुण तुम्हें निहारते,जगो…
वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया पर कविता जय किसान,जय जाट जमींदार,है आज आखातीज का त्यौहार। खेती-बड़ी सदैव फल्ले फुलेअन्न-धन्न का भण्डार भरे,राष्ट्र रीढ़ की हड्डी किसानपरमात्मा इसके दुःख हरे। ये धरती किसान की माँ हैऔर बादल किसान का बाप,इंद्र देव वर्षा…