यहाँ राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस पर एक कविता प्रस्तुत की गई है, जो पर्वतारोहण के साहस, रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाती है:
राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस
जब ऊँचे पर्वत चढ़ते हैं हम, साहस से भरे दिल के संग, हर चोटी पर विजय का सपना, हर कदम पर नई उमंग।
हवा का झोंका, बर्फ की चादर, कभी रुकावट, कभी सहारा, प्रकृति की गोद में चलते हैं हम, हर पल रोमांच का इशारा।
रास्ते कठिन, पगडंडी तंग, मंजिल की ओर बढ़ते हैं संग, हर मुश्किल को पार करते, नई ऊंचाईयों पर चढ़ते।
पर्वतों की चोटी से दिखता, क्षितिज का अद्भुत विस्तार, हरियाली, नीला आकाश, प्रकृति का अद्भुत संसार।
आओ मिलकर आज मनाएं, राष्ट्रीय पर्वतीय पर्वतारोहण दिवस, साहस और दृढ़ता का पर्व यह, प्रकृति से जुड़ने का प्रयास।
चढ़ते रहें हम पर्वतों पर, दृढ़ता और धैर्य के संग, हर चोटी पर विजय का सपना, हर दिन को बनाएं हम नया रंग।
यह कविता पर्वतारोहण के रोमांच और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति प्रेम को उजागर करती है। पर्वतारोहण न केवल साहसिक खेल है, बल्कि यह धैर्य, दृढ़ता, और प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाने का माध्यम भी है।
यहाँ राष्ट्रीय सादगी दिवस के अवसर पर एक कविता प्रस्तुत की जा रही है:
सादगी का रंग
सादगी का रंग हो प्यारा, सीधा-सादा जीवन हमारा।
चमक-दमक को भूल चलें हम, सादगी में ही सुख पाएं हम।
कम में खुश रहना सिखाएं, सादगी का पाठ पढ़ाएं।
भव्यता में न फंसे जीवन, सादगी में हो सच्चा धन।
जीवन का यही है सार, सादगी से करें सब प्यार।
नेकी और सरलता का मार्ग, हर दिन मनाएं सादगी दिवस।
आडंबर को दूर भगाएं, सादगी को अपनाएं।
सादगी में है सच्ची शान, सादगी में ही है सम्मान।
राष्ट्रीय सादगी दिवस मनाएं, सादगी का दीप जलाएं।
हर मन में बस यही विचार, सादगी हो सबसे प्यारा उपहार।
निष्कर्ष सादगी दिवस का यह संदेश, हर दिल में हो सादगी का वास।
सादगी से करें प्रेम अर्पण, सादगी हो हमारे जीवन का कर्म।
इस कविता के माध्यम से सादगी के महत्व को समझाया गया है और सादगी को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया है। सादगी से जीवन में सुख, शांति और संतोष प्राप्त होता है, यह कविता इसी विचार को प्रस्तुत करती है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) प्रत्येक वर्ष 23 जून को आयोजित किया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से आधुनिक ओलंपिक खेलों के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन खेल से जुड़े स्वास्थ्य और सद्भाव के पहलू को मनाने के लिए भी मनाया जाता है। यह दिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की नींव का प्रतीक है।
कविता की शुरुआत में ओलंपिक दिवस को खेलों का पर्व और महान उत्सव बताया गया है। इसे हर किसी के लिए महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक माना गया है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर कविता
खेलों का पर्व, उत्सव महान, ओलंपिक दिवस, सबके प्राण। सपनों की राह, संग हो इंसान, जीवन में भर दे, उमंगों का गान।
सद्भावना की मूरत, एकता की डोर, संघर्ष की मिसाल, वीरता का शोर। सपनों के पंख, लगाकर उड़ान, जीत की हसरत, मंजिल आसान।
हर देश, हर रंग, हर जाति के लोग, साथ में जुड़ते, बनते एक योग। मैदान में दिखती, मेहनत की चमक, हर खेल में बसी, विजय की दमक।
पसीने की बूंदें, संघर्ष का रंग, जीवन की तस्वीर, मेहनत का संग। जीत या हार, बस खेल का नाम, खिलाड़ियों का मन, सदा रहे थाम।
ओलंपिक दिवस, संदेश ये लाए, हर दिल में उत्साह, नया जोश जगाए। खेलों से जुड़े, स्वस्थ जीवन को पाएं, आओ मिलकर, इस पर्व को मनाएं।
सपनों को साकार, बनाएं नया इतिहास, हर दिल में बसाएं, खेलों का विश्वास। ओलंपिक की ज्योति, जलती रहे यूं ही, सदियों से सदियों तक, रहे ये रौशनी।
विश्व वर्षावन दिवस (World Rainforest Day) के अवसर पर कविता में विविधता और सौंदर्य का वर्णन किया जाता है। इसमें वर्षा के मौसम की सुंदरता, उसके साथ आने वाले खुशियों और उत्साह का वर्णन होता है।
विश्व वर्षावन दिवस (World Rainforest Day) पर कविता
बरसात की बूंदों में गुलजार बसा , प्रकृति की सौंधी खुशबू फैला।
मेघ छाए हैं आसमान में खुले, धरती को आगामी वर्षा की चेतना ।
हरियाली छाई है, पेड़-पौधों का मेला , अभिनव सैलाब प्रकृति की अनंत सौंदर्य ।
बादल धीरे-धीरे आते हैं नजर, धरती पर खुशियों का बहारा है बिखरा ।
पर्वतों से निकली धारें नदियों में मिलीं, धरती की गोद में बरसात की मधुर लहरें बहीं।
फूलों की चमक, पुष्पों की सुगंध, कर दिया बरसात ने सबको मदहोश।
प्रकृति की यह अनमोल सौंदर्य, करता है प्रेरित संगीत में।
वर्षावन का यह दिवस, हर कवि के लिए विशेष,
गाते हैं हम सब, वर्षा के इस प्रभात पर जीवन के नेत्र से।
वर्षावन के दिनों में प्रकृति की बाहरी और भीतरी सुंदरता का वर्णन, वृक्षों की हरियाली, गांव के छोटे-छोटे बच्चों की खुशियों का संदेश, वर्षा से उत्पन्न होने वाले नए अनुभवों की चर्चा, आदि हो सकता है।
इन कविताओं में योग के महत्व और उसके द्वारा मिलने वाले शारीरिक और मानसिक लाभों का वर्णन किया गया है। योग को एक सरल और प्रभावी उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।
योग दिवस पर 3 कवितायेँ
योगा नित दिन करना है
योगा नित दिन करके हमको, तन-मन स्वस्थ बनाना है। दूषित पर्यावरण के प्रकोप से, खुद को हमें बचाना है।
यकृत, गुर्दा, हृदय रोगों को, पास न आने देना है। जीवन के इस भाग – दौड़ में, चाहे कितनी उलझन हो।
थोड़ा समय निकाल हमें भी, अनुलोम-विलोम करना है। खुद पर संयम रखकर हमको, शरीर संतुलित बनाना है।
दुर्लभ जीवन पाया हमनें, काया कंचन बनाना है। सारे व्याधियों को दूर भगाने, योगा नित दिन करना है।
रविबाला ठाकुर”सुधा”
आज से करना योगा
योगा के अभ्यास से,रोगमुक्त हो जाय। मन सुंदर तन भी खिले,पहला सुख वह पाय। पहला सुख वह पाय,निरोगी काया ऐसी। सावन की बौछार,सुखद होती है जैसी। अब तो मानव जाग ,अभी तक दुख क्यों भोगा? शुरू करो मिल साथ,आज से करना योगा।।
सुचिता अग्रवाल ‘सुचिसंदीप’
तिनसुकिया असम
योग मन का मीत है
करना नित अभ्यास फैला योग का प्रकाश योग है मरहम भी योग तो है साधना
प्रात: काल उठा करो योग खूब सारा करो बाद स्नान ध्यान करो योग है आराधना
कम खाओ गम खाओ सेहत खूब बनाओ मन के मालिक बनो रोगों को न थामना
स्वर्ण जैसा रहे तन सदा शुद्ध रहे मन देह धन हो संचित ऐसी रहे कामना
प्रकृति का हो वरण दोषों का हो निवारण जीवन में शांति रहे राज भोग कीजिये
तन सदा स्वस्थ रहे मन सदा स्वच्छ रहे व्यर्थ न हो धन व्यय ऐसा योग कीजिये
दूर करता तनाव शांत रहता स्वभाव दिनभर स्फूर्ति मिले सब लोग कीजिये
ध्यान चित्त का गीत है योग मन का मीत है लगा लो ध्यान आसन दूर रोग कीजिये *
धनेश्वरी देवांगन “धरा “
ये कविताएं सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई हैं। कविताओं का उद्देश्य पाठकों को योग के लाभों से अवगत कराना और उन्हें इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
कविताओं का सार:
इन कविताओं में योग के दैनिक अभ्यास से जीवन में आने वाले सकारात्मक परिवर्तनों का वर्णन किया गया है। योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का संचार करता है। ये कविताएं पाठकों को योग के प्रति जागरूक करने और इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने की प्रेरणा देती हैं।