सायकिल दिवस कविता (Poem on World Cycle Day)
सायकिल दिवस कविता (Poem on World Cycle Day) मनीभाई की कविता अपने बचपन में , की थी जिससे यारी। वो मेरी सायकिल,जिसमें करूँ सवारी । आज बदहाल पड़ा, कहीं किसी कोने में सेवा कर गुजारी, जिसने जिंदगी सारी। ना वो ईंधन लेता, ना फैलायें प्रदूषण । ना दुर्घटना का भय,सुरक्षित हो जीवन। ना कोई झंझट … Read more