Category: दिन विशेष कविता

  • 10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष लेख

    10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष लेख

    10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस

    10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष लेख

    रहे सब धर्मों की बस यही पुकार।

    भेदभाव अंत हो, मिले मानवाधिकार।

    – मनीभाई नवरत्न

    प्रत्येक मानव , चाहे वह किसी भी धर्म, लिंग, जाति स्तर या फिर किसी भी देश का हो वह जन्म से बराबर एवं स्वतंत्र है । एक मनुष्य का जीवन तभी सफल है, जब उसे गरिमामय लक्ष्य पूर्ण जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो । मानवाधिकार मनुष्य की क्षमताओं को पूरी तरह खेलने का अवसर देते हैं ।लेकिन इंसान जैसे जैसे बड़ा होता है वह अहंकारी बनता जाता है । और एक ऐसे समाज की रचना करता है जिसमें वह लैंगिक, धार्मिक, रंगभेद आर्थिक और भी न जाने कितने भेदभाव के पैमाने गढ़ता चला जाता है ।

    मानवाधिकार दिवस मानवता के खिलाफ क्रूरता की भर्त्सना करता है । इन सब भेदभाव के अंत के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में सन 1948 में 10 दिसंबर को मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया ।

    मानव अधिकार अधिनियम के तहत मानव के मूलभूत अधिकार, जैसे जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा संविधान द्वारा निश्चिंत है । मानवाधिकार के उल्लंघन को रोकने के लिए भारत में सन 1933 में ‘राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ‘ का गठन किया गया, जो मूल अधिकार और जांच पड़ताल का कार्य करता है तथा उल्लंघन होने पर जुर्म के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश करता है ।

    प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के सदस्य देशों में 6 सप्ताह के लिए बैठक करते हैं । बैठक में मानवाधिकार से जुड़े सारे मुद्दों पर चर्चा होती है और खासकर यातना पूर्ण तथा क्रूर व्यवहार पर खुलकर चर्चा होती है ताकि भविष्य में इसे रोकने की योजनाएं एवं कानून बनाए जा सके ।

    इस दिन कार्यशाला गोष्ठियों और सभाएं आयोजित की जाती है ताकि मानवाधिकार उल्लंघन के क्षेत्रों का पता लगा सके ।मानवाधिकार दिवस मनाना समाज की रचना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है ।आचार विचार एवं संस्कार ही मानव अधिकार है ।एक बात गौरतलब है कि मानव अधिकार पाने के लिए मानव को सुपात्र ही बनना पड़ेगा।

  • 6 दिसंबर स्वयंसेवक दिवस पर विशेष लेख

    6 दिसंबर स्वयंसेवक दिवस

    स्वयंसेवक की बस यही पुकार.

    आज हर जन बने देश की दीवार.

    – मनीभाई नवरत्न की कलम से

    स्वयंसेवक वे स्वैच्छिक सैनिक होते हैं जो अपनी इच्छा से किसी काम में हाथ डालते हैं और फिर उसे बखूबी निभाते हैं।

    हमारे जीवन में  कहीं भी, किसी भी समय किसी भी प्रकार की विपत्ति आ सकती है उस समय जानमाल की रक्षा के लिए क्षेत्रीय मानव संसाधन की जरूरत पड़ती है ऐसे समय में क्षेत्रीय एनसीसी तथा नागरिक सुरक्षा के स्वयंसेवकों की सहायता ली जाती है . वे शीघ्र सेवा तथा श्रमदान द्वारा घायलों तथा जरूरतमंदों को नाना प्रकार की सहायता युद्ध स्तर पर मुहैया कराते हैं .

    विपत्ति, आपदा प्रबंधन में स्वयंसेवकों की भूमिका को देखते हुए स्वयंसेवक दिवस मनाना जागरूकता अभियान है . इससे लोगों में भाईचारे की भावना बलवती होती है एवं कर्तव्य बोध के नाते स्वयंसेवक बनने की प्रेरणा मिलती है लेकिन स्वयं सेवक बनने के लिए कुछ शर्ते आवश्यक है .

    जैसे स्वयंसेवी महिला हो या पुरुष उन्हें ईमानदार, क्षमतावान , स्वस्थ, एक साथ मिलकर काम करने की आकांक्षावाला तथा आपातकाल के समय फौरन हाजिर होने में समर्थ होना जरूरी है . उन्हें कम से कम 18 वर्ष की आयु का होना तथा पढ़ना लिखना और क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान होना जरूरी है .

    आजकल आतंकवादी हमले , बाढ़ , सूखा , चक्रवात और यहां तक कि युद्ध की स्थिति में भी काफी संख्या में देश को स्वयं सेवकों की जरूरत है . अतः नागरिक सुरक्षा कर्मी की भर्ती की जाती रही है और उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाता है ताकि आपदा के समय स्वयं सेवक हाजिर होकर जानमाल की रक्षा कर सकें और समाज एवं देश को आर्थिक हानि से बचा सके. कुछ ऐसे नियम एवं स्वयंसेवकों में होनी चाहिए जो विपत्ति के समय जरूरी है . जैसे- सेवा भावना ,शांत रहना, प्राथमिक चिकित्सा देने का ज्ञान आदि .

    स्वयंसेवकों की यही पुकार है कि आपदा प्रबंधन के लिए बहादुर चतुर एवं स्वयं सेवक समाज एवं देश के लिए शिक्षा से आगे आएं एवं इस दिवस की सार्थकता सिद्ध करें.

    6 December Volunteer Day
    6 December Volunteer Day
  • 14 दिसंबर ऊर्जा संरक्षण दिवस पर विशेष लेख

    14 दिसंबर ऊर्जा संरक्षण दिवस

    शक्ति से संभव है देश की विकास व उन्नति.

    जुटजाइये सभी बचाने को, यह ऊर्जा संपत्ति.

    मनीभाई नवरत्न की कलम से

    राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस(National Energy Conservation Day) 14 दिसंबर को मनाया जाता है । राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच हमारे ऊर्जा संसाधनों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और ऊर्जा खपत को कम करना भी है।

    ऊर्जा क्या है ?

    ऊर्जा काम करने की शक्ति है और शक्ति से विकास और उन्नति होती है. ऊर्जा उत्पादन की एक सीमा होती है . बढ़ती जनसंख्या को अधिक से अधिक ऊर्जा की जरूरत है अतः हमें दो ठोस कदम उठाने होंगे .

    एक तो बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाना होगा . दूसरा ऊर्जा का संरक्षण करना होगा लेकिन सवाल उठता है कि ऊर्जा का संरक्षण किस प्रकार करें ?

    ऊर्जा संरक्षण में जागरुकता लाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन को सन 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था . इस दिन लोगों में जागरूकता लाई जाती है कि हमारे देश में ऊर्जा संरक्षण के अवसर हैं .

    इस दिन का आयोजन ऊर्जा मंत्रालय के तहत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा किया जाता है। दिन का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है।

    ऊर्जा संरक्षण अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लोगों में इसके लिए उपाय खोजना है इस विषय पर नागरिकों से आग्रह किया जाता है कि ऊर्जा संरक्षण का आवश्यक ऊर्जा बचाने वाले उपकरण प्रयोग में लाना चाहिए . बेवजह पंखे, बत्ती, टी.व्ही. ए.सी. फ्रिज आदि चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बचाई गई ऊर्जा को देश के विकास कार्यों में लगाया जा सकता है .

    धीरे धीरे इस तरह हर एक नागरिक ऊर्जा बचाने लगे तो यह ऊर्जा संरक्षण दिवस सार्थक हो जाएगा.

    14 दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दिवस 14 December - International Energy Day
    14 दिसम्बर अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दिवस 14 December – International Energy Day
  • 7 दिसंबर झंडा दिवस पर विशेष लेख

    7 दिसंबर झंडा दिवस पर विशेष लेख

    7 दिसंबर सशस्त्र सेना झंडा दिवस
    7 दिसंबर सशस्त्र सेना झंडा दिवस

    झंडा दिवस प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है . झंडा दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि सैनिकों के परिवारों के सदस्यों की सहायता के लिए कुछ चंदा देकर उनका मनोबल बढ़ाएं एवं उनके परिजन के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएं .

    हमारी सेना हमारे देश के प्रहरी हैं . हम सभी का कर्तव्य है कि उनके साथ हमारी भागीदारी हो और हम आर्थिक सहायता द्वारा उसे सशक्त करें. झंडा दिवस के दिन सेना के जवान हमें सेना का एक झंडा भेंट करते हैं और बदले में हम उन्हें कुछ आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं और उनके साथ होने का वायदा करते हैं .

    झंडा दिवस के दिन राष्ट्र सैनिकों की कर्तव्य निष्ठा एवं बहादुरी के लिए कृतज्ञता ज्ञापन करता है. इस तरह हम उनसे घनिष्ठता बनाते हैं और मातृभूमि की रक्षा के खातिर उनको प्रोत्साहित करते हैं . प्रतिवर्ष झंडा दिवस पर हम साहसी और कर्तव्य शील सेवानिवृत्त एवं सेवारत जवानों की शौर्य गाथाओं को सिर माथे लगाते हैं .

    इस दिन भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री नागरिकों से सैनिकों की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दिल खोलकर चलने का आग्रह करते हैं . यह पैसा युद्ध के दौरान मारे गए सैनिकों के परिवार जनों को सहायता प्रदान किया जाता है. इस प्रकार युद्ध जवान अपने परिवार जन के लिए निश्चिंत रहते हैं. उन्हें देश के लिए सेवा रहने में कोई समस्या नहीं सताती क्योंकि उनके परिवार की देखभाल के लिए सैनिक वहां से निकलो तत्पर रहते हैं . झंडा दिवस पर सैनिकों की भलाई के लिए हमेशा से चंदा देना चाहिए ताकि उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं सतत चलती रहे.

  • 4 दिसंबर नौसेना दिवस पर विशेष लेख

    4 दिसंबर नौसेना दिवस

    देश की शान हैं नौसेना… हम सबका अभिमान हैंं नौसेना।

    4 दिसम्बर भारतीय नौसेना दिवस
    4 दिसम्बर भारतीय नौसेना दिवस

    भारतीय नौसेना दिवस  प्रत्येक वर्ष 4 दिसम्बर को मनाया जाता है। यह 1971 की जंग में भारतीय नौसेना की पाकिस्तानी नौसेना पर जीत की याद में मनाया जाता है। भारत में नौसेना दिवस मनाया जाना इस बात का संकेत है कि नौसेना का हमारे देश में कितनी अहमियत है ।

    इसी दिन सन 1971 में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के साथ लड़ाई में उसे मात देकर विजयश्री प्राप्त की थी। बांग्लादेश का जन्म इसी भारत-पाक युद्ध की देन है । यह युद्ध स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लड़ा जाने वाला सबसे बड़ा युद्ध था। इसके दौरान नौ सेना ने सिर्फ अपना एक युद्धपोत आईएनएस खुखरी खोया था।

    भारतीय नौसेना जांबाज सिपाहियों, बुद्धिमान अफसरों , आधुनिक जलपोतों और पनडुब्बियों से सुसज्जित है। आजकल भारतीय नौसेना सिर्फ भारतीय जल परिधि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कई बचाव और रक्षा के साहसिक कारनामों ने भी संलग्न है। इसके पास नाभिकीय आईएनएस चक्र जैसी पनडुब्बी है जो अत्याधुनिक है और अनेक सुविधाओं से भी लैस है ।

    नौसेना विमानवाहक युद्धपोत मिसाइलों जलीय जीवन की सुविधाओं सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध और शोध कार्यों के लिए प्रयोगशाला से लैस है ।

    नौसेना दिवस अपने नौसेना के मुख्यालय में उत्सव के रूप में अपनी क्षमता के प्रदर्शन के साथ गर्व से मनाया जाता है। इसी दिन नौ सैनिक अपनी शौर्य गाथा का इतिहास गाते हैं ।अपनी उपलब्धि दिखाते हैं ।और भविष्य में अपने देश की सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने का वायदा दोहराते हैं। इस विशेष दिवस को नौसेना के आला अफसर अपने सैनिकों तथा कर्मियों के लिए कई लाभकारी योजनाएं घोषित करते हैं ताकि यह उनके जीवन को और अधिक सुरक्षित बना सकें हमें अपनी भारतीय नौसेना पर नाज है।

    प्रमुख तथ्य :-

    • भारतीय नौसेना भारतीय सेना का सामुद्रिक अंग है जो कि ५६०० वर्षों के अपने गौरवशाली इतिहास के साथ न केवल भारतीय सामुद्रिक सीमाओं अपितु भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की भी रक्षक है।
    • ५५,००० नौसैनिकों से लैस यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना भारतीय सीमा की सुरक्षा को प्रमुखता से निभाते हुए विश्व के अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों के साथ सैन्य अभ्यास में भी सम्मिलित होती है।
    • पिछले कुछ वर्षों से लागातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से यह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में है।

    (यह जानकारी विभिन्न वेबसाइट से प्राप्त की गई है)