Category: दिन विशेष कविता

  • विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    इस कविता के माध्यम से हम सभी विश्व रंगमंच दिवस के महत्व को समझते हैं और इस उत्सव के महत्व को मनाते हैं, जो संस्कृति, कला, और समाज को एकसाथ लाता है।

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर एक कविता

    विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर यहाँ एक कविता प्रस्तुत की जा रही है:

    विश्व रंगमंच के दीप सजाएं,
    गीत नृत्य से दिल बहलाएं।
    प्रतिभाओं को सम्मान दिलाएं ,
    हर जन भाषा को मान दिलाएं ।

    अभिनय से भावना व्यक्त हो,
    नयी दिशा में नयी सोच हो।
    छलांग भरें हर किरदार में ,
    रंगमंच पर अब कथा मस्त हो।

    नाटकों के हैं विविध रंग ,
    ताकत बन समाज हैं संग ।
    रंगमंच दुनिया की अलग उमंग ,
    विविध भाव और विविध ढंग।

    आओ मिलकर जश्न मनाएं,
    उत्साह उमंग का मन बनाएं।
    विश्व रंगमंच दिवस पर हम सभी,
    चलो नाचें और एक गीत गाएँ ।

  • विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल

    विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल


    आओ विश्व कविता दिवस मनाएँ/मंजूषा दुग्गल

    विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल

    मन के कोमल भावों को
    कोरे काग़ज़ पर सजाएँ
    प्रेम, इंतज़ार,ग़म के पलों को
    चला लेखनी लफ़्ज़ों में व्यक्त कर जाएँ
    नमन करें सभी काव्य साधकों को
    श्रद्धा में उनकी मस्तक झुकाएँ
    महादेवी सी सहनशीलता ले आएँ
    निराला के प्रकृति प्रेम में खो जाएँ
    दिनकर की राष्ट्र भक्ति से ओजपूर्ण हो
    जयशंकर की स्पष्टवादिता अपनाएँ
    राहे कदम पर इनके पग धरें हम
    स्नेह , प्रेम, वात्सल्य, जोश से भर जाएँ
    मस्ती के आलम से वंचित हैं जो जन
    बेरंग जीवन को काव्य से रंग जाएँ
    शिक्षा, ज्ञान , संस्कृति से सबको अवगत कराएँ
    आओ विश्व कविता दिवस हम मनाएँ।
    मंजूषा दुग्गल
    करनाल (हरियाणा)

  • विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    प्रति पल कविता दिवस मनाता।
    हिन्दी में लिखना सिखलाता।।
    मन मन्दिर में ध्यान लगाता।
    सबको उत्तम राह दिखाता।।

    अंतर्मन के भाव गमकते।
    शब्दों के आह्लाद चहकते।।
    अर्थ बताते सत्य पंथ गह।
    स्नेह परस्पर का मतलब कह।।

    कविता लिख कर मन बहलाता।
    जीवन को खुशहाल बनाता।।
    लेखन ही सत्कर्म धर्म है।
    जीवन का य़ह शिष्ट मर्म है।।

    हिन्दी में जो कविता लिखता।
    अमर बना वह जग में रहता।।
    घर बैठे ही नाम कमाता।।
    अपने पर वह शोध कराता।।

    प्यारे!कविता दिवस मनाओ।
    सोते जग को नित्य जगाओ।।
    कविता लिखकर गाते रहना।
    जीवन पर्व मनाते चलना।।

    डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी उत्तर प्रदेश

  • पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता/मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    जलाकर पेड़-पौधे वीरान धरती को बना रहे हैं 

    इतनी सुंदर सृष्टि का भयावह मंजर बना रहे हैं 

    काटकर जंगल पशु-पक्षियों को बेघर बना रहे हैं 

    कर बेइंतहा अत्याचार हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    वैज्ञानिक उन्नति की राह पर हम कदम बढ़ा रहे हैं

    चाँद पर भी अब देखो वर्चस्व अपना जमा रहे हैं 

    अपनी धरा का कर शोषण हम उपग्रहों पर जा रहे हैं 

    उपेक्षित कर भूमंडल अपना हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    हवाओं का रुख़ मोड़कर तूफ़ानों को हम बुला रहे हैं 

    प्रचंड गर्मी के वेग से जन -जन को देखो झुलसा रहे हैं

    नदी-नालों को गंदा कर भूमि प्रदूषण फैला रहे हैं

    प्रदूषित वातावरण बना दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    उपजाऊ भूमि को बना बंजर वृहत भवन हम बना रहे हैं 

    वृक्षों से धरा वंचित कर नक़ली पौधों से घर सजा रहे हैं 

    सुख-समृद्धि दिखाने को ढेर गाड़ियों का बढ़ा रहे हैं।

    खत्म कर हरियाली देखो हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं।

    मंजूषा दुग्गल 

    करनाल (हरियाणा)

  • 1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

    1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

    1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

    शून्य भेदभाव दिवस पर, हम एक हो जाएँ ,
    पूरा विश्व एकजुट, सुबह के सूरज के नीचे।
    करते हैं आवाज़ बुलंद और स्पष्ट ,
    नफ़रत को और न कहने के लिए,

    भय को दूर करने के लिए।

    1मार्च शून्य भेदभाव दिवस पर कविता / मनीभाई नवरत्न

    हम सब एक जैसे हैं, त्वचा के नीचे खून से
    कोई जाति नहीं, कोई धर्म या रिश्तेदार नहीं।
    इंसान हैं हम सभी, जो पैदा होते हैं,
    प्यार करने के लिए , आनंद पाने के लिए ।

    अब विभाजनकारी दीवारों के ख़िलाफ़ खड़े होंगे,
    वे बाधाएँ जो हमें अंदर से अलग रखती हैं।
    हम भेदभाव की ताकत की जंजीरें तोड़ देंगे,
    और न्याय पर प्रकाश डालेंगे , उज्ज्वल चमकेंगे ।

    अपनी मतभेदों को स्वीकार करते हुए ,
    विविधता की सुंदरता को अपनाएंगे।
    हम स्वतंत्र होंगे तभी मजबूत होंगे ,
    आओ, हम वह बदलाव लाकर दिखाएँ ।

    हर्षोल्लास हृदय के साथ आगे बढ़ें,
    दिलों में आशा और हवा में प्यार ।
    इस दिन के लिए, हम सब एक होकर खड़े होंगे,
    पाने को शांति की एक दुनिया ,

    जहां सब कुछ एक हो जाए।

    मनीभाई नवरत्न