हाइकु त्रयी
[१]
कोहरा घना
जंगल है दुबका
दूर क्षितिज!
[२]
कोहरा ढांपे
न दिखे कुछ पार
ओझल ताल
[३]
हाथ रगड़
कुछ गर्माहट हो
कांपता हाड़
निमाई प्रधान’क्षितिज’*
[१]
कोहरा घना
जंगल है दुबका
दूर क्षितिज!
[२]
कोहरा ढांपे
न दिखे कुछ पार
ओझल ताल
[३]
हाथ रगड़
कुछ गर्माहट हो
कांपता हाड़
निमाई प्रधान’क्षितिज’*