मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा-बाँके बिहारी बरबीगहीया

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा सुबह सवेरे घर से भाग जाना पेड़ की टहनी से गुल्ली डंडा बनाना अमीरी -गरीबी ना छूत अछूत सबके निश्छल हृदय मिल के रहना खाना कितना सुख…

मैं हूँ पहाड़-विनोद सिल्ला

मैं हूँ पहाड़ मैं हूँ पहाड़तुम्हारे आकर्षण काहूँ केन्द्रशक्ति काविशालता काहूँ परिचायकनदियाँ हैंमेरी सुताजो हैं पराया धनहो जाती हैंमुझसे जुदाहोती हैं बेताब समुद्र से मिलने कोसमुद्र में विलीन होने कोहोती हैंमुझसे जुदानई…

जिंदगी पर कविता -सरोज कंवर शेखावत

जिंदगी पर कविता -सरोज कंवर शेखावत जिंदगी- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम" जिंदगी ने जिंदगी से ऐसा भी क्या कह दिया,लब तो खामोश थे फिर क्या…

अंकिता जैन की कविता

अंकिता जैन की कविता विचित्र दुनिया      ये बड़ी विचित्र दुनिया है,यहाँ, विचित्र राग गाया जाता हैं।अपने घाव रो रो कर दिखाते,और दूसरे के घावो पर,नमक लगाया जाता हैं।ये…

शहीदों पर कविता-माधवी गणवीर

 शहीदों पर कविता  वतन के लिए कुर्बान होने की बात हैबस अपना फर्ज निभाने की बात है। कोई हमसे पूछे दिलो का जज्बा,हसीन कायनात सजाने की बात है। वतन पे…

बस्तर धाम पर कविता-शशिकला कठोलिया

बस्तर धाम पर कविता उच्च गिरि कानन आच्छादित,    छत्तीसगढ़ का यह भाग, प्रकृति की गोद में बसा ,सुंदर पावन बस्तर धाम । नदियों का कल कल प्रवाह ,कर रही सुंदर दृश्यों…

रावण दहन करो

रावण दहन करो ravan-dahan-dashara भीतर के रावण का दमन करो,फिर तुम रावण का दहन करो।पहले राम राज्य का गठन करोफिर तुम रावण का दहन करो। चला लेना तुम बाण को…

दर्द के जज़्बात

दर्द के जज़्बात अवाम दिखाती दर्द के जज़्बात, पर हुकूमत क्या समझे ? कही अनकही बात, लोगों का पैसा तो नहीं खैरात! आखिर इन गै़रकानूनी से कब मिलेगी निजात? ग़ुरूर करवा देगीएक दिन इंकलाब से मुलाक़ात, जब करे…

तुम नहीं होती तब – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

तुम नहीं होती तब चादर के सलवटों मेंबेतरतीब बिखरे कपड़ों मेंउलटे पड़े जूतों मेंकेले और मूंगफली के छिलकों मेंलिखे,अधलिखे और अलिखे मुड़े-तुड़े कागज़ के टुकडों में खुद बिखरा-बिखरा-सा पड़ा होता हूँ मेरे सिरहाने…