रूप घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: रूप घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’ रूप घनाक्षरी का विधान विधान:- ३२ वर्ण (८८८८) प्रतिचरण १६,१६ वर्ण पर यति चार चरण समतुकांत चरणांत गुरु लघु (गाल) रूप घनाक्षरी का उदाहरण __भारती वंदन__ मात भारती वंदनमाटी तेरी है चंदन,जन्मे जो रघुनंदनआँचल में भगवान। मान देश का रखतेशान तिरंगा रखते,प्राण देह दे सकतेसपने शुभ अरमान। लिखते … Read more

जलहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: जलहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’ जलहरण घनाक्षरी का विधान विधान :– ३२ वर्ण प्रति चरण( ८८८८) १६,१६ पर यतिचार चरण समतुकांतचरणांत लघु गुरु, या लघु लघु जलहरण घनाक्षरी का उदाहरण – नीर बहे मेघ घटा जल वर्षाखेत खेत है सरसाबाग पेड़ सर हर्षारोक जन नीर बहे। नीर भावि जन शक्तिउठो धीर मति व्यक्तिवारि … Read more

जनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: जनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’ जनहरण घनाक्षरी का विधान:– ३१, वर्ण प्रति चरण( ८८८७) १६,१५ पर यतिचार चरण समतुकांत हो।प्रति चरण ३० वर्ण लघु औरअंतिम वर्ण गुरु हो। जनहरण घनाक्षरी का उदाहरण प्रभु नटखट चल पथ पनघटनिरखत जल घटगिरधर नटखटपटकत घट है। भय भगदड़ तबघर पथ लगि जबछिपत रहत अबगिरधर नट है वन … Read more

गुरु पच्चीसी

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप … Read more

मनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’

घनाक्षरी छंद विधान: मनहरण घनाक्षरी -बाबूलालशर्मा ‘विज्ञ’ मनहरण घनाक्षरी विधान:– ८, ८, ८, ७ (आठ,आठ, आठ,सात) वर्ण संयुक्त वर्ण एक ही माना जाता है। कुल ३१वर्ण, १६, १५, पर यति हो,( , ) पदांत गुरु(२) अनिवार्य है, चार पद सम तुकांत हो, चार पदों का एक छंद कहलाता है। मनहरण घनाक्षरी का उदाहरण होली रूप … Read more