जलती धरती /हरि प्रकाश गुप्ता सरल

JALATI DHARATI

जलती धरती /हरि प्रकाश गुप्ता सरल धरती जलती है तो जलने दीजिए।पेड़ कटते हैं तो कटने दीजिए।।भले ही जल जाए सभी कुछ यहांपर पर्यावरण की न चिंता कीजिए।कुछ तो रहम करो भविष्य के बारे में अपने लिए न सही आगे की सोचिए।।न रहेंगे जंगल और न रहेगी शीतलताहरियाली धरा में न दिख पाएगी।न कुछ फिर … Read more

जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय

JALATI DHARATI

जलती धरती/शिव शंकर पाण्डेय न आग के अंगार से न सूरज के ताप से।।धरा जल रही है, पाखंडियों के  पाप से।।सृष्टि वृष्टि जल जीवन सूरज।नार नदी वन पर्वत सूरज।।सूरज आशा सूरज श्वांसा।सूर्य बिना सब खत्म तमाशा।सूर्य रश्मि से सिंचित भू हम जला रहे हैं   खुद  आपसे।धरा जल रही है पाखंडियों के पाप से।।सूरज ही मेरी … Read more

धरती माता /डा. राजेश तिवारी

पर्यावरण दिवस पर कविता

धरती माता /डा. राजेश तिवारी धरती मेरी माँ है इसको स्वस्थ और स्वच्छ बनायें ।आओ इसकी रक्षा और सुरक्षा का दायित्व उठायें ।।………………………………………………………. अवैध और अनैतिकता से इसका खनन जो करते ।सोचो इसको दिये घाव जो  कहो वो  कैसे भरते ।।इनको हरी भरी रखना है ये रोमावली है वृक्ष लतायें । मृदा प्रदूषति न करना … Read more

जलती धरती/नीरज अग्रवाल

JALATI DHARATI

जलती धरती/नीरज अग्रवाल पर्यावरण और वन उपवन हैं।जल थल जंगल हमारे जीवन हैं।जलती धरती बढ़ता तापमान हैं।मानव जीवन में आज  संकट  हैं।हम सभी को सहयोग जो करना हैं।जलती धरती तपता सूरज कहता हैं।वसुंधरा को हरा भरा हमको करना हैं।मानव जीवन में कुदरत के रंग भरने हैंं।आज  हम सभी को प्राकृतिक बनना हैं।न सोचो कल का … Read more

जलती धरती/नीरज अग्रवाल

JALATI DHARATI

जलती धरती/नीरज अग्रवाल सच तो यही जिंदगी कुदरत हैं।जलती धरती आकाश गगन हैं।हम सभी की सोच समझ हैं।हां जलती धरती  सूरज संग हैं।खेल हमारे मन भावों में रहते हैं।जलती धरतीं मानव जीवन हैं।हमारे मन भावों में प्रकृति बसी हैं।सच और सोच हमारी अपनी हैं।हम सभी जलती धरती के संग हैं।आज कल बरसों से हम जीते … Read more