रामजी आए हैं संग ख़ुशियाँ लाए हैं सज-धज चमक रही हैं गलियाँ पलक-पाँवड़े बिछे हैं सबके रंगोलियाँ लगी दमकने हो गए हैं सबके वारे-न्यारे जन्मों के सोये भाग लगे मुस्काने।
अभागे चीखते रहे ये बनाओ,वो बनाओ-बनेगा वही जो ‘होइहैं वही जो राम रुचि राखा’, जगमग हैं घर-घरौंदें सजधज लौटी है दीवाली आनंद मगन नाच रहे हैं नर-नारी अवध-सरयू की प्रतीक्षा हुई है पूरी रामलला संग आए हैं हनुमन्त जी।
वनवास संग संकल्प पूर्ण हुआ रामलला हम आएँगे मन्दिर वहीं बनाएँगे गगन चहुँओर गूँजे है जय श्री राम के नारों से।
धन्य हुआ जीवन अपना विश्वास हमारा जीत गया धन्य जन्म जो काम आया राम के पुकार उठा है बच्चा-बच्चा देश का जय श्री राम-जय श्री राम।
मधुर – मृदु बोल संक्रांति पर , तिल – गुड़ – लड्डू के खाओ मिलजुलकर सभी प्रेम – प्यार , समता , सौहार्द बढ़ाओ महापर्व संक्रांति लाए सदा , खुशहाली चहुँ ओर , पतंग उड़ाओ , शुभकामनाएँ लेते – देते जाओ ।
आया – आया करो स्वागत , पर्व संक्रांति का महान सपने ऊँचे सजाकर तुम , छू लो विस्तृत आसमान आशाओं की उड़े पतंग , थामो विश्वासों की डोर , पुण्य कमाओ आज सभी , देकर प्रेम से कुछ भी दान ।
कितना बढ़िया पावन , मनमोहक है , खुशी का त्योहार अफ़सोस ! आता नहीं मनोहर , यह त्योहार बार – बार ख़ुशबू ही ख़ुशबू फैली जा रही , अब तो चारों ओर , गन्ने – रस की खीर , तिल – गुड़ के लड्डू होंगे तैयार ।
अन्य राज्यों के साथ अब तो , पंजाब भी सराबोर गूँजता जा रहा लोहड़ी के , संगीत का मधुर शोर सुन्दर मुंदरिए मनोहर गाना , सबको ही है भाता , भंगड़े – गिद्दे के साथ , थामते सब पतंग की डोर ।