अनुराग राम का पाने को/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश
अनुराग राम का पाने को/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश; अनुराग राम का पाने को,उर पावन सहज प्रफुल्लित है।कण-कण में उल्लास भरा,जन -जीवन अति आनन्दित है।टेक। बर्बरता की धुली कालिमा,सपनों के अंकुर फूटे,स्वच्छ विचारों के प्रहार से,दुर्दिन के मानक टूटे।नाच रहीं खुशियॉ अम्बर में,पुण्य धरा उत्सर्गित है।अनुराग राम का पाने को,उर पावन सहज प्रफुल्लित है।1। बलिदान दिया … Read more