राम को माने राम का नही/राजकुमार ‘मसखरे’
राम को माने,राम का नही (राम की प्रकृति पूजा) ओ मेरे प्रभु वनवासी रामआ जाओ अपनी धराधाम,चौदह वर्ष तक पितृवचन मेंवन-वन विचरे बिना विराम! निषाद राज गंगा पार करायेकंदमूल खाकर सरिता नहाए,असुरों को राम ख़ूब संहारेऋषिमुनियों को जो थे सताए ! भूमि कन्या थी सीतामाईशेष अवतारी लक्ष्मण भाई ,पर्ण कुटी सङ्ग,घास बिछौनाभील राज सङ्ग करे … Read more