अनुराग राम का पाने को/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश

Jai Sri Ram kavitabahar

अनुराग राम का पाने को/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश; अनुराग राम का पाने को,उर पावन सहज प्रफुल्लित है।कण-कण में उल्लास भरा,जन -जीवन अति आनन्दित है।टेक। बर्बरता की धुली कालिमा,सपनों के अंकुर फूटे,स्वच्छ विचारों के प्रहार से,दुर्दिन के मानक टूटे।नाच रहीं खुशियॉ अम्बर में,पुण्य धरा उत्सर्गित है।अनुराग राम का पाने को,उर पावन सहज प्रफुल्लित है।1। बलिदान दिया … Read more

श्री राम को प्रणाम है/ डाॅ विजय कुमार कन्नौजे

Jai Sri Ram kavitabahar

श्री राम को प्रणाम है/ डाॅ विजय कुमार कन्नौजे धीर वीर श्री राम कोकोटि-कोटि प्रणाम है।कौशल्या के लालदशरथ कुमार है।संत हितकारी परदुष्टों का काल है।। वही प्रभु श्री राम को कोटि-कोटि प्रणाम है ।। निर्गुण निराकार परधरती में अवतार है।दशरथ कुमार है परकण कण में राम है।।धीर वीर संयम शीलश्री राम को प्रणाम है। देखने … Read more

खिचड़ी भाषा त्याग कर / डाॅ विजय कुमार कन्नौजे

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खिचड़ी भाषा त्याग कर खिचड़ी भाषा त्याग करसाहित्य कीजिए लेख।निज जननी को नमन करोकहे कवि विजय लेख।। हिन्दी साहित्य इतिहास मेंखिचड़ी भाषा कर परहेज।इंग्लिश शब्द को न डालिएहिन्दी वाणी का है संदेश।। हिन्दी स्वयं में सामर्थ्य हैहर शब्दों का उल्लेख।हर वस्तु का हिन्दी नाम हैहिन्दी शब्दकोश में लेख।। हिन्दी इतना कमजोर नहींजो मिलायें खिचड़ी भाषा।सभी … Read more

रसायन चुर्ण हिन्दी/ डाॅ विजय कुमार कन्नौजे

रसायन चुर्ण हिन्दी हिन्दी शब्दकोश खंगालकरशब्द चयन कर साथ।शब्दकोश का भंडार पड़ा हैज्ञानार्जन दीजिए बाट।। हिन्दी कोष महासागर हैपाते हैं गोता खोर।तैर सको तो तैर सागर को गहरा है अति घोर।। डुबकी लगाये अंदर जावेंगोता लगावें, गोता खोर।आसमान सा ऊपर हिन्दीपताल पुरी सा गहरा छोर।। सृजन साहित्य,नवरस धारारस छंद दोहा अलंकृत है।संधि समास परिपुर्ण हिंन्दीवर्ण … Read more

राम को माने राम का नही/राजकुमार ‘मसखरे’

Jai Sri Ram kavitabahar

राम को माने,राम का नही (राम की प्रकृति पूजा) ओ मेरे प्रभु वनवासी रामआ जाओ अपनी धराधाम,चौदह वर्ष तक पितृवचन मेंवन-वन विचरे बिना विराम! निषाद राज गंगा पार करायेकंदमूल खाकर सरिता नहाए,असुरों को राम ख़ूब संहारेऋषिमुनियों को जो थे सताए ! भूमि कन्या थी सीतामाईशेष अवतारी लक्ष्मण भाई ,पर्ण कुटी सङ्ग,घास बिछौनाभील राज सङ्ग करे … Read more