कुछ ऐसा काम कर दिखाये हम
कुछ ऐसा काम कर दिखाये हम ।
दुनियाँ को जन्नत सा बनाएँ हम ।।
फिरकापरस्ती का जहर कम हो ।
सबका मालिक एक बताएँ हम ।।
कोई हिन्दू न कोई मुसलमान हो ।
इंसान है इंसान ही कहलाएं हम ।।
बस्तियाँ अब बहुत जला ली हमने ।
झोपड़ी में एक दीपक जलाएँ हम ।।
हवा भी इस कदर जहरीली हो गई ।
खुले मैदान में सांस न ले पाएं हम ।।
कर्म से ही अहिंसा बेमानी लगती है ।
मन वचन से अहिंसा अपनाएं हम ।।
‘ पंकज ‘