शाकाहारी भोजन
यह भोजन जो तुमने खाया है।
क्यों किसी निरीह पशु को तड़पाया है?
क्या उसके दर्द भी बढ़कर थी भूख तुम्हारी।
जिव्ह्या का स्वाद क्या उसके जीवन से ज्यादा अनमोल था?
उन्हें प्लेट में सजा कर खाते हुए क्या तुम्हें नहीं कोई क्षोभ था?
माना इस खाने से तुम्हें पोषण तो मिलेगा?
लेकिन क्या उन निरीह जानवरों के चीत्कार का फल न मिलेगा?
क्या मानवता के हनन का कोई पाप तुमको तो न लगेगा?
इस सहज क्रूर व्यवहार के कारण तुमने तामसिकता का भाव तो ना जगेगा?
समझ नहीं आता सहज ही किसी को दुख देने के बाद चैन तुम्हें कैसे मिलेगा?
पाप का घड़ा है कभी तो भरेगा।
वह निर्दोष जानवर जिन्होंने जन्म लेने के सिवा कोई गुनाह ही नहीं किया।
उनका यह हाल है तो सोच के देखो कभी कि परमात्मा फिर तुम्हारा क्या हाल करेगा?
मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा