Category: हिंदी कविता

  • शाकाहार पर नारे/ विजय पाटने

    शाकाहार पर नारे/ विजय पाटने

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार पर नारे

    प्रकृति का ये उपहार।
    जीओ और जीने दो बने साकार।

    साग सब्जी अपना हथियार।
    उत्तम स्वास्थ्य लाएँ अपने द्वार।

    मांस का करें तिरस्कार।
    ना बने पाप के भागीदार।

    दूर करे तन मन के विकार।
    अपना कर भोजन शाकाहार।

    आज धरा की है पुकार।
    शाकाहार ही हो भोजन का आधार।

    आओ सब मिलकर भरे हुंकार।
    बंद हो मांसाहार का व्यापार।

    जीने का दे सभी को अधिकार।
    शाकाहार सर्वोत्तम आहार।।

    रचनाकार
    विजय पाटने
    374,Aarambh
    Silver Starcity
    Silicon city Indore
    9826065177

  • शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    शाकाहार/ वीरेंद्र सालेचा

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहार सर्वोत्तम आहार

    तीर्थंकर के वर्तमान प्रतिनिधि,
    देते जग को अणुव्रतों का संदेश।
    मांसाहार को त्याग कर इंसान,
    शाकाहार अपनाए विश्व के देश।।

    किसी धर्म सम्प्रदाय ग्रंथ में नहीं,
    मिलता हिंसा को तनिक भी स्थान।
    फिर क्यों भोजन की थाली में,
    पिरोसा जाता मांसाहारी पकवान।।

    मांसाहार से होती तन में व्याधि,
    कई बीमारियों की लाती उपाधि।
    तामसिक आहार से मति बिगड़ती,
    देश मे बनते कई नए अपराधी।।

    अबोल पशुओ के करुण चीत्कार
    से बना भोजन नहीं है हितकारी
    जीवदयाकर मांसाहार को त्यागे
    बन जाये व्यक्ति पूर्ण शाकाहारी

    मूकबधिर जानवरों के खान पान से,
    विश्व मे फैलती जानलेवा महामारी।
    स्वस्थ शरीर स्वस्थ देश बनाने हेतु,
    आज से ही बन जाये पूर्ण शाकाहारी।।

    🖋 वीरेंद्र सालेचा- अहमदाबाद

  • करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    Vegetable Vegan Fruit

    हम मनुष्य हैं ,कोई दैत्य – दानव नहीं,
    क्यों दैत्यों – दानवों के पग पर पग धरते हैं?
    मनुष्य होकर क्यों दैत्य- दानवों सा कृत्य करते हैं?
    क्यों शुद्ध सात्विक आहार को छोड़कर,
    तामसिक आहार पे हम टूट पड़ते हैं?
    खाकर तामसिक आहार को फिर,
    अवगुणों का सारा पिटारा अपने अंदर में भरते हैं ।

    त्रिगुणमयी संसार में होता है सब त्रिगुणमयिक।
    आहार भी सात्विक राजसिक और तामसिक।
    तामसिक आहार नहीं चाहिए खाना।
    अपने अंदर हैवान को नहीं चाहिए जगाना।

    ढलता है आचरण में आहार का ही गुण।
    तामसिक आहार करवा देता है मनुष्य से मनुष्यता का खून।
    चेतना शून्य कर अमानुष बना देता है।
    अपने वश में फिर पूरी तरह कर लेता है।

    हम भी एक जीव हैं,
    वे भी एक जीव हैं।
    हमें भी दर्द का एहसास होता है,
    उन्हें भी दर्द का एहसास होता है।
    फिर क्यों अपनी तृष्णा के खातिर,
    हम ऐसा हैवान बन जाते हैं?
    बड़ी निर्ममता से हत्या कर उनकी,
    बड़ी चाव से फिर उन्हें हम खाते हैं।

    सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ, सर्वोच्च देहधारी मनुष्य ,
    देवता भी तरसते हैं इस देह को पाने के लिए।
    मुक्ति का द्वार यह मनुष्य देह,
    मिला नहीं है संसार में सिर्फ खाने के लिए।
    चार खानि चौरासी लाख योनियों में
    भटकने के बाद मिलता है यह तब।
    अखिल ब्रह्माण्ड नायक श्री हरि जी,
    करुणा कर अपनी करूणा बरसातें हैं जब।

    इस देह का उद्देश्य भोग करना नहीं,
    ईश्वर संग योग कर ईश्वर में समाना है।
    सदा शुद्ध सात्विक आहार कर,
    प्रभु की परम कृपा कमाना है।
    करते हैं क्यों तामसिक आहार
    प्रभु के द्वार से दूर भटकने के लिए ?
    क्यों स्वयं को बनाते हैं इस योग्य
    यमराज के द्वारा के फंदे में लटकने के लिए ?

    करें न तामसिक आहार /सुमा मण्डल

    मांस के साथ – साथ तामसिक आहार में आते हैं लहसुन-प्याज भी।
    उड़द मसूर की गणना भी जाती है इसी में की।
    संसार में अच्छी – अच्छी वस्तुओं की कमी नहीं खाने के लिए।
    अच्छी – अच्छी वस्तुओं को छोड़कर, क्यों लालायित रहते हैं तामसिक आहार पाने के लिए?

    तामसिक आहार न अब से ग्रहण करें हम।
    जीवों की हत्या कर जीवों को न दें गम।
    करें न जीव हत्या का पाप का करम।
    कहता भी है हमसे यही हमारा सत्य सनातन धरम।

    रचयिता -श्रीमती सुमा मण्डल
    वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
    नगर पंचायत पखांजूर
    जिला कांकेर, छत्तीसगढ़

  • महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    महामानव यीशु/ डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    jesus
    यीशु

    जब जब धरा पर होती है अत्याचार।
    तब तब प्रभु लेते हैं धरा पर अवतार।।

    मानवता जब होने लगी धरा पर।
    जब धरती होने लगी थी , शर्म सार

    मानव मानवता भुलकर,करने लगे अत्याचार ।
    गरीब अमीर में भेदकर,दीनन पर किया प्रहार।।

    पच्चीस दिसंबर कोमहामानव
    यीशु मसीह लिया अवतार।।
    दीन हीन को साध ले, मानवता पाठ पढ़ाया।
    ईश कृपा सब सृष्टि है
    दया प्रेम को जगाया।।

    जो कुछ है सब ईश का
    ना काहु का कुछ आय।
    सत्य दया प्रेम अहिंसा
    प्रभू ईशा मसीह बतलाय।।

    पच्चीस दिसंबर अवतरण दिवस,
    दीनन दिये चितलाय।
    मानवता के पाठ को,ईश प्रभु बतलाय।।

    सेवा समर्पण भाव से,सबका
    कीजिए सम्मान।
    विश्व जगत में छा गया, प्रभु यीशु का नाम।।

    महामानव होता है, मानवता की पहचान।
    जाति धर्म से ऊपर, उठकर करते हैं वो काम।।

    ना जाति किसी का,ना धर्म किसी का नाम।
    मानव का धर्म यही, मानवता का पहचान।।

    भेद भाव छुआछूत,का किया
    यीशु तिरस्कार।।
    पच्चीस दिसंबर को अवतण दिवस,
    ईसाईयों का त्योहार।।

    सत्य दया प्रेम अहिंसा सत्संग और अनुराग।
    ईश कृपा से सृष्टि रचना है, यीशु मसीह का ज्ञान।।

    रचनाकार

    डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी

  • सात्विक आहार औषधि/डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    सात्विक आहार औषधि/डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    Vegetable Vegan Fruit

    सात्विक आहार औषधि

    डुबती स्वासा संभाल कर
    नब्ज गिरत संभाल।
    तुलसी लौंग के गुण अति
    रसायन बटी का मान।

    मेल मिलाप मकरध्वज
    वृहद् चिंतामणि डार।
    लकवा वात की सही दवा
    वैद्य विजय का मान।।।

    करू करेला खाइये ,संग जामुन कसैला डार।
    शक्कर रोग की दवा,
    सत्य सनातन परमान।।

    जीरा धनिया सोंठ को
    देहु सज्जन पिसाय।
    सोना मख्खी मिलाकर
    तुरंत गैस देहु भगाय।।

    खाली पेट खाइये, नींबु पत्ता पांच।
    गैस रोग दुर भगय,न आये कुछ आंच।।

    सात्विक आहार औषधि,
    सुन लो संत सुजान।
    कवि विजय लिख दिया
    घर औषधि प्रमाण।।

    मांस मदिरा से बढ़त है
    शुगर बी,पी जान।
    अकाट्य वचन कवि का
    सत्य प्रमाण जान।।

    डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग

    सात्विक आहार औषधि/डॉ विजय कुमार कन्नौजे

    सात्विक भोजन का गुण

    सात्विक भोजन करके,सदा बने गुणवान।
    शाक सब्जी फल से,सदा रहे बलवान।।
    सदा रहे बलवान,माने संत विचार।
    मिट जायेगा सदा,मन का हर‌ विकार।
    कुपथ आहार तजे,बने रहे सदा आस्तिक।
    करके आहार सद, खाद्य रहें
    जब सात्विक ।।

    सात्विकता प्रमाण है,रखें सदा निरोग ।
    काम, क्रोध, मद,लोभ ना
    खुश रहत सब लोग।

    खुश रहते सब लोग,
    कहें कवि विजय का लेख।
    बी,पी,-शुगर न होय
    कभी सद्भ भोजन का रेख।

    औषधि गुण भंडार,हरा भरा की वास्तविकता।
    मिट जाये सारी रोग, महत्वपूर्ण सात्विकता।।

    पालक लाल भाजी में
    आयरन का है गुण।
    लाल खुन कण बढ़ेय
    ध्यान लगाकर सुन।।

    ध्यान लगाकर सुन
    कहे कवि विजय का लेख।
    हरा भरा सब्जी पर
    है पोषक तत्व का रेख।।
    खाइयें खिलायें,बनाये बल बालक,
    विटामिन का भंडार, भांजी लाल पालक।

    डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग छत्तीसगढ़ रायपुर