जुल्मी अगहन पर कविता / शकुन शेंडे
बचेली

    जुल्मीअगहन जुलुम ढाये री सखी, अलबेला अगहन!शीत लहर की कर के सवारी, इतराये चौदहों भुवन!! धुंध की ओढ़नी ओढ़ के धरती, कुसुमन सेज सजाती।ओस बूंद नहा किरणें उषा की, दिवस मिलन सकुचाती।विश्मय सखी शरमाये रवि- वर, बहियां गहे न धरा दुल्हन!!जुलूम….. सूझे न मारग क्षितिज व्योम- पथ,लथपथ पड़े कुहासा।प्रकृति के लब कांपे-न बूझे,वाणी की … Read more

जंगल पर कविता: प्रकृति का जादू और अद्भुत अनुभव (2024)

जंगल पर कविता के माध्यम से प्रकृति का महत्व, पर्यावरण संरक्षण, और वन्यजीवन का समर्थन सीखें। इस लेख में जानें कि कैसे जंगल पर कविताएँ हमें पर्यावरण से जोड़ती हैं।

Haathi par kavita : 5 बेहतरीन हाथी पर कविताएँ

“हाथी पर कविता” पढ़ें और जानें इस अद्भुत प्राणी की महानता को। हाथी की कविताओं से प्रेरणा और ज्ञान पाएं। हाथी, हमारे ग्रह का एक अनोखा और शक्तिशाली प्राणी है जो अपनी विशालता, समझदारी, और सामाजिकता के लिए प्रसिद्ध है। चाहे जंगल का राजा हो या किसी धार्मिक स्थल का प्रतीक, हाथी हमेशा से मानव … Read more

तुलसी विवाह पर कविता

तुलसी विवाह पर कविता पौराणिक कथा पर आधारित है और वृंदा और भगवान विष्णु के अवतार जालंधर की कहानी को प्रस्तुत करती है। गंगा द्वारा श्रीहरि को श्राप देने से लक्ष्मी को धरती पर दो रूपों में जन्म लेना पड़ा – एक वृंदा के रूप में, जिसने कठिनाइयों का सामना किया और दूसरी पद्मा नदी … Read more

कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे

कवि / कविता पर कविता/ राजकुमार ‘मसखरे आज़कल  कवि  होते नही हैंवे सीधे ही  कवि बन जाते हैं,कुछ लिखने व मंथन से पहलेकोई  नकली  ‘नाम’ जमाते हैं ! यही कोई ‘उपनाम’ लिख करफिर नाम  मे ‘कवि’  लगाते हैं,दो,चार रचना क्या लिख डाले‘भाँटा-मुरई’ को सही बताते हैं ! ‘पताल चटनी’ लिख- लिख करये समृद्ध साहित्यकार कहाते … Read more