गीत नवगीत लिखें

गीत नवगीत लिखें ग़ज़ल रुबाई या फिर कविता, भले गीत नवगीत लिखें। मन के भाव पिरोते जायें, जैसा करें प्रतीत लिखें। देख बदलते अंबर के रँग, काव्य तूलिका सदा चले।छाया से सागर रँग बदले, लहरें तट से मिलें गले।लाल गुलाबी श्वेत श्याम या, नीला धानी पीत लिखें।ग़ज़ल रुबाई या फिर कविता, भले गीत नवगीत लिखें। … Read more

अंतरात्मा पर कविता

अंतरात्मा पर कविता मेरा संबंध तुमसेअंतरात्मा का है।हाँ बाहृा जगत मेंहम पृथक ही सही,न दिखे ये रिश्ताजग में कहींमन का जुड़ावमन से तो है ।मेरा संबंध तुमनेअंतरात्मा का है।भू से अंबर तकहर जगह तुममेरी नजरों में हो।मेरी हर धडकन में तुमजैसे हवा का संचार,सांसो के लिये है,जल का सिंचन,जीवन के लिये है।वैसे ही एक से … Read more

मेरी तीन माताएँ

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मेरी तीन माताएँ नौ मास तक जिसने ओद्र में रखकर,,हमें इस संसार में लायी।अपनी स्तन का अमृत पिलाकर,,इस जग … Read more

ओ तरु तात सुन ले

ओ तरु तात सुन ले ओ!तरु तात!सुन लेमेरी वयस और तेरी वयस का अंतर चिह्न लेमैं नव अंकुर,भू से तकतातेरे साये में पलतातू समूल धरा के गर्भ में जम चुका। माना ,तेरी शाखा छूती जलद कोमधुर स्पर्श से पय-नीर पान करतीपर जिस दिन फैलेगी मेरी शाखाएँघनों को पार कर पहुँचेगी अनंत तकऔर चुनेगी स्वर्णिम दीप-तारक। … Read more

चाहत को तुम पलकों में छुपाया न करो

चाहत को तुम पलकों में छुपाया न करो सुनो न सुनो न ऐसे तड़पाया न करोपास बुला के दूर को हटाया न करोआख़िर इतना क्यों इतराते रहते होकितनी बार कहा है भाव खाया न करो गैरों से हंस हंस के तुम क्यों बातें करते होइस तरह से मुझको तुम जलाया न करोकभी कभी चलता है … Read more