गीत नवगीत लिखें
गीत नवगीत लिखें ग़ज़ल रुबाई या फिर कविता, भले गीत नवगीत लिखें। मन के भाव पिरोते जायें, जैसा करें प्रतीत लिखें। देख बदलते अंबर के रँग, काव्य तूलिका सदा चले।छाया से सागर रँग बदले, लहरें तट से मिलें गले।लाल गुलाबी श्वेत श्याम या, नीला धानी पीत लिखें।ग़ज़ल रुबाई या फिर कविता, भले गीत नवगीत लिखें। … Read more