Category: हिंदी कविता

  • दही हाण्डी का उत्सव

    दही हाण्डी का उत्सव

    दही हाण्डी भारतीय त्योहारों का एक उल्लासपूर्ण हिस्सा है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रस्तुत है एक कविता जो दही हाण्डी के उत्साह, आनंद और सामाजिक एकता को दर्शाती है:

    दही हाण्डी का उत्सव

    दही हाण्डी का उत्सव

    मधुर मिलन का पर्व आया,
    दही हाण्डी का उल्लास लाया,
    हर गली, हर चौक में सज गई,
    खुशियों की मूरत, रंगीन बन गई।

    सपनों के झूले, नटखट खेल,
    भरी धारा से उमड़े हर दिल का मेल,
    गांव के हर कोने में बजी बधाई,
    रंगों से भरी, खुशियों की दवाई।

    भक्ति की भावना, नटों की टोली,
    हाण्डी के नीचे खड़े सब भूले,
    ऊंचाई पर हाण्डी लटकती देखो,
    शक्ति और साहस का संगम मिलते देखो।

    छोटे-छोटे बच्चे, युवा सब लगे,
    दीवारों को चढ़कर हाण्डी तक पहुंचे,
    पानी की बौछारें, संगीत की धुन,
    रंगों की मस्ती, हर दिल में खुशनुमा गुन।

    मिट्टी की हाण्डी में छुपा है प्रेम,
    दही और मिठाई से भरा हर प्रेम,
    सामाजिक एकता का ये है प्रतीक,
    हर दिल में बसी है खुशी की तरंग।

    उत्सव का रंग, बधाई का संगीत,
    हर चेहरे पर मुस्कान, हर मन में उल्लास,
    दही हाण्डी का ये पर्व है खास,
    संग मिलकर मनाएं हम, छेड़े खुशियों का गीत।

    आओ मिलकर मनाएं इस उत्सव को,
    हर दिल में भर दें खुशी का रस,
    दही हाण्डी की मिठास से सजाएंगे हम,
    हर जीवन को दें खुशियों की आस।


    यह कविता दही हाण्डी के उत्सव की खुशी और उल्लास को प्रकट करती है। यह त्योहार एकता, सामूहिकता, और सामाजिक मिलन का प्रतीक है, जिसमें हर व्यक्ति का भागीदारी और आनंद शामिल होता है।

  • रक्षा पंचमी का संग ( भाई-बहन के रिश्ते पर कविता )

    रक्षा पंचमी का संग ( भाई-बहन के रिश्ते पर कविता )

    रक्षा पंचमी एक विशेष हिन्दू त्योहार है जो भैया दूज के समय आता है और इसे विशेष रूप से भाई-बहन के रिश्ते की रक्षा और सुरक्षा के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो भाई-बहन के रिश्ते की रक्षा और स्नेह को दर्शाती है:

    रक्षा पंचमी का संग ( भाई-बहन के रिश्ते पर कविता )

    रक्षा पंचमी का संग

    रक्षा पंचमी की सुबह आई,
    खुशियों की बधाई लायी,
    भाई-बहन के रिश्ते की मीठी धुन,
    स्नेह और सुरक्षा की यह शुभ घड़ी सुन।

    राखी की डोरी, प्रेम की चादर,
    बंधे रिश्ते से हर मन को जोड़े,
    बहन की रक्षा का संकल्प लेकर,
    भाई ने कसम खाई हर कदम पर सहेज कर।

    सजती राखी, रंग-बिरंगी थालियाँ,
    भाई की कलाई पर सजी राखी की मालाएँ,
    हर धागे में बसी बहन की दुआ,
    सुरक्षा का संदेश, हर दिल को छूआ।

    भाई की सुरक्षा का वचन निभाए,
    हर कठिनाई में सदा साथ निभाए,
    स्नेह की धारा से रिश्ते को सींचे,
    हर क्षण में भाई-बहन का साथ मिले।

    साल भर की खुशियों का आँगन,
    रक्षा पंचमी पर सजता रंगीन बगन,
    भाई-बहन का ये प्यार अमूल्य,
    सुरक्षा की डोरी से है यह बंधन संजीवनी।

    आओ मिलकर मनाएं हम यह पर्व,
    स्नेह और विश्वास से भरपूर,
    रक्षा पंचमी की ख़ुशियों में,
    भाई-बहन के रिश्ते की हो अमिट छाप।

    हर दिल में बसी हो रक्षा की भावना,
    हर रिश्ते को सहेज कर रखें ये भावना,
    रक्षा पंचमी का ये पर्व हो विशेष,
    भाई-बहन का प्यार हो अक्षुण्ण और नेक।


    यह कविता रक्षा पंचमी के दिन भाई-बहन के रिश्ते की सुरक्षा, स्नेह और सम्मान को उजागर करती है। यह पर्व रिश्ते को मज़बूती प्रदान करने और एक-दूसरे के प्रति प्यार और देखभाल बढ़ाने का एक अवसर है।

  • मुहर्रम की याद

    मुहर्रम की याद

    मुहर्रम इस्लामी वर्ष का पहला महीना होता है और यह इस्लामी समुदाय के लिए एक विशेष महत्व रखता है, खासकर शिया मुसलमानों के लिए। यह महीना कर्बला के शहीदों की याद में मनाया जाता है, जिसमें इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का विशेष रूप से जिक्र होता है। मुहर्रम के समाप्त होने पर यह कविता उस त्याग, बलिदान और समर्पण की भावना को दर्शाती है:

    मुहर्रम की याद

    मुहर्रम की याद

    मुहर्रम का महीना आया,
    यादों की घटा छाई है,
    कर्बला की वो गाथा सुनकर,
    हर आँख अश्रु से भर आई है।

    इमाम हुसैन की शहादत,
    सच्चाई की आवाज़ थी,
    जालिम के आगे न झुकना,
    उनकी यही परंपरा खास थी।

    धर्म की रक्षा, सच्चाई का संग,
    कर्बला में दिखा अदम्य उमंग,
    प्यासे रहकर भी ना झुके,
    हुसैन ने सत्य की राह चुने।

    कटा सर, फिर भी न झुकी,
    उनके साहस की ये कहानी,
    धर्म और इंसाफ की खातिर,
    दी अपनी कुर्बानी।

    मुहर्रम का महीना गुजरा,
    पर यादें फिर भी साथ हैं,
    हुसैन के उस बलिदान की,
    हर दिल में बसी सौगात है।

    आओ सब मिलकर याद करें,
    उन वीरों की कुर्बानी को,
    सच्चाई और हक की राह पर,
    चलें उनके जज़्बे की निशानी को।


    यह कविता इमाम हुसैन और उनके साथियों के साहस और बलिदान को याद करती है, जो हमें सत्य और न्याय के लिए खड़े रहने की प्रेरणा देती है। मुहर्रम का महीना हमें इस बात की याद दिलाता है कि सत्य और न्याय के लिए किसी भी प्रकार की कुर्बानी दी जा सकती है।

  • नदी की सुन्दरता / अकिल खान

    नदी की सुन्दरता / अकिल खान

    नदी की सुंदरता

    hasdeo river

    नदी हूंँ मैं मेरी शान है अनोखी-निराली,
    मेरी जल से छाई है चारों ओर हरियाली।
    मेरी तट में विराजमान हैं कई तीर्थ-स्थान,
    मानव इतिहास का पृथ्वी में करूं बखान।
    कहीं रूद्र-शांत तो कहीं मन को हरता,
    है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

    हिमखंड वर्षा की जल से बहूँ कल-कल,
    पर्वत से निकलकर मैदान में पहुंँचे जल,
    नाविक करें मत्स्याखेट और गाए मल्हार गीत,
    मानव-पशु स्नान करें देख मन हो अति हर्षित।

    करे सबको तृप्त नदी की है ये उदारता,
    है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

    नदी किनारे कीचड़-रेत और विशाल लंबे पेड़,
    कृषि करें बिजली बनाएं और कहीं नमक-मेड़।

    जल से साफ करें बर्तन-कपड़े और मल,
    कारखानों कि प्रदूषण से दूषित होता जल।
    यह देख नदी मानव को है धिक्कारता,
    है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

    मैं सभ्यता की जननी हूं न करो मेरा अपमान,
    काट वृक्ष बढ़ती आबादी से नष्ट करता इंसान।
    कहती है नदी मेरी अस्तित्व को बचा लो,
    मानव कुकृत्य को मेरी जीवन से हटा लो।
    हे मानव तुम हो वीर कैसी है ये कायरता,
    है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

    मेरी जल से करें व्यापार और मनाएं त्यौहार,
    कर पूजा पाठ मानव करे जीवन का उद्धार।
    नदी बचाओ ये जीवन को है संवारता।
    है अदम्य-अकल्पनीय,नदी की सुंदरता।

    —– अकिल खान रायगढ़ जिला रायगढ़ (छ.ग.) पिन – 496440.

  • हसदेव बचाव अभियान पर कविता

    हसदेव बचाव अभियान पर कविता

    हसदेव बचाव अभियान पर कविता

    हसदेव को बचाना है

    hasdeo river

    पेड़ काटोगे तो हवा घटेगी,जल हो जायेगा गुम,
    मानव तेरे पतन का,चहूंँ ओर होगा धूम ही धूम।
    कहीं लुप्त हो जाएगा,यह प्रकृति का सुंदर चित्र,
    मनुष्य मारे पैर में कुल्हाड़ी,यह कार्य है विचित्र।
    वक्त की यही है आवाज,विश्व को भी बताना है,
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।

    ऐश्वर्य पूर्ण जीवन में,माटी-पुत्र कहीं खो गया,
    वन को काट कर, ‘इमारती पलंग’ में सो गया।
    पुछता है ‘अकिल’,क्या कोयला ही खजाना है?
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।

    यकीनन वनांचल के लोगों का,पहचान है वन,
    पेड़ से मिले शुद्ध वायु,स्वस्थ होता है तन-मन।
    जंगल की शान है,जीव-जंतुओं का हलचल,
    वन से लोगों को मिलता है,रोजगार हर-पल।
    जान कर भी अंजान है,देखो कैसा जमाना है?
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।

    विद्युत तो और भी तरीके से बन जाएगा,
    लेकिन यह अनमोल पेड़,कौन बनाएगा?
    शुद्ध हवा के अभाव में,हर जीव मर जाएगा,
    इंसान के अभाव में,पृथ्वी को कौन बचाएगा?
    युवा शक्ति की आवाज है,हर पेड़ को बचाना है,
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।

    छ.ग.हो रहा है तबाह,कृपया इसे बचाईए,
    हसदेव की रक्षा के लिए,सभी आगे आईए।
    है निवेदन,सभी जगह मे आंदोलन छेड़ दो,
    ‘हसदेव’ के विरूद्ध,हर कदम को खदेड़ दो।
    प्रकृति है हमारी पहचान,बस यही समझाना है,
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।

    वक्त रहते,वक्त का किजीए सम्मान
    हसदेव है धरोहर,हसदेव है पहचान।
    अब नहीं तो,कब तो सुधरेगा इंसान?
    ‘हसदेव’ मुहिम का संभालिए कमान,
    उठकर देखिए गौर से,साथ मे संपूर्ण जमाना है,
    जग के अस्तित्व के लिए,हसदेव को बचाना है।
    #SaveHasdeo
    #StandWithAdivasis

    अकिल खान,जिला – रायगढ़ (छ.ग.).