भावी पीढ़ी का आगामी भविष्य

भावी पीढ़ी का आगामी भविष्य हमें सोचना तो पड़ेगा।परिवार की परंपरासमाज की संस्कृतिमान्यताओं का दर्शनव्यवहारिक कुशलताआदर्शों की स्थापना।निरुद्देश्य तो नहीं!महती भूमिका है इनकीसुन्दर,संतुलित और सफल जीवन जीने में। जो बढता निरंतरप्रगति की ओरदेता स्वस्थ शरीर ,सफल जीवन और सर्वहितकारी चिन्तन।हम रूढियों के संवाहक न बने।कुरीतियों की हामी भी क्यों भरें। बचें छिछले ,गँदले गड्ढों के … Read more

एक बार लौट कर आ जाते

अगर वह एक बार लौट कर आ जाते तालाब के जल पर एक अस्पष्ट सा,उन तैरते पत्तों के बीचएक प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ा,तभी जाना… मेरा भी तो अस्तित्व है।झुर्रियों ने चेहरे पर पहरा देना शुरू कर दिया था।कुछ गड्ढे थे. जो चेहरे पर अटके पड़े थेंजिस पर आँखों से गिरी कुछ बूंदें अपना बसेरा बनाए हुए … Read more

प्रातःकाल पर कविता

morning

प्रातःकाल पर कविता श्याम जलद की ओढचुनरिया प्राची मुस्काई।ऊषा भी अवगुण्ठन मेंरंगों संग नहीं आ पाई। सोई हुई बालरवि किरणेअर्ध निमीलित अलसाई।छितराये बदरा संग खेलेभुवन भास्कर छवि छाई। नीड़ छोड़  चली अब तोपंछियों की सुरमई पाँत।हर मौसम में  रहें कर्मरतसमझा जाती है यह बात। पुष्पा शर्मा “कुसुम”

छूकर मुझे बसंत कर दो

छूकर मुझे बसंत कर दो – निमाई प्रधान तुम बिन महज़ एक शून्य-सा मैंजीकर मुझे अनंत कर दो ….। पतझर-पतझर जीवन हैछूकर मुझे बसंत कर दो ।। इन्द्रधनुष एक खिल रहा है, मेरे हृदय के कोने में…..बस जरुरत एक ‘हाँ’ की …शून्य से अनंत होने में ।छू लो ज़रा लबों को मेरे..शंकाओं का अंत कर … Read more

दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल

दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल जिंदादिली जिसकी बदौलत गीत गाना फिर नया |हँसके ग़ज़ल गाते रहो छेड़ो तराना फिर नया || है जिंदगी जी लो अभी फिर वक्त का कोई भरोसा है नहीं |पल भर ख़ुशी का जो मिले किस्सा सुनाना फिर नया || हँसना हँसाना रूठ जाना फिर मनाना आ गया |अच्छा लगे  … Read more