कन्या पूजन या भ्रूणहत्या -राकेश सक्सेना

प्रस्तुत कविता का शीर्षक - "कन्या - पूजन या भ्रूण हत्या" समाज के उन लोगों से सवाल है जो एक तरफ तो देवी स्वरूपा कन्या का पूजन करते हैं वहीं अपने परिवार में बेटी होने का दुःख मनाते हैं। इसी विषय वस्तु को आधार मानकर रची गई है।

अकारण ही -राजुल

जीवन यात्रा में बहुत कुछ अकारण होते,रचते रहना चाहिए। वृत्ताकार और यंत्रवत जीवन जीने से मर सा जाता है आदमी और निष्प्राण हो जाती है उसके अंदर की आदमियत...