बेटियों पर हिंदी कविता -रबिना विश्वकर्मा

बेटियों पर हिंदी कविता -रबिना विश्वकर्मा

beti

बेटी को पढाने में लगता है डर,
पर ये नहीं सोचा बेटियाँ ही
बनाती हैं सुंदर सा घर ।।

आज की दुनिया सताती है बेटियाँ को,
लेकिन फिर भी सारे दुःखो को
सहती है बेटियाँ ।।

एक नहीं दो घरो को सॅभालती है बेटियाँ ,
फिर भी अकेली रह जाती हैं बेटियाँ ।।

ना जाने कौन से जन्म का पाप भोगती है बेटियाँ,
अपना सुख दूसरो को दे देती है बेटियाँ ।।

फिर भी हसती मुस्कराती रहती हैं बेटियाँ,
ना जाने कौन सी बात है बेटियों में,
कि सारी बात सह लेती है बेटियाँ ।।

फिर भी लोग कहते हैं ,
कि पराई होती है बेटियाँ ,
पराई होती है बेटियाँ ।।

रबिना विश्वकर्मा

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply