Category: हिंदी देशभक्ति कविता

  • महदीप जंघेल की कविता

    महदीप जंघेल की कविता

    बाल कविता
    बाल कविता

    बचपन जीने दो

    भविष्य की अंधी दौड़ में,
    खो रहा है प्यारा बचपन।
    टेंशन इतनी छोटी- सी उम्र में,
    औसत उम्र हो गया है पचपन।

    गर्भ से निकला नहीं कि,
    जिम्मेदारी के बोझ तले दब जाते,
    आपको ये बनना है,वो बनना है,
    परिवार के लोग बताते।

    तीन साल के उम्र में ही,
    बस्ता का बोझ उठाते है।
    कंपीटिशन ऐसा है कि ,
    रोज कोचिंग करने जाते है।

    सारा दिन प्रतिदिन अध्यापन का,
    कितना मानसिक बोझ उठाएंगे।
    प्रतियोगिता के अंधी दौड़ में,
    अपना प्यारा बचपन कब बिताएंगे?

    हँसी खुशी से भरा प्यारा सा,
    बचपन का अमृत उसे पीने दो।
    मानसिक दबाव कम होगा उनका,
    हँस खेलकर भी जीने दो।

    रचनाकार-महदीप जँघेल
    ग्राम-खमतराई
    खैरागढ़

    mahdeep janghel
    mahdeep janghel

    जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी

    जय हो जय हो ,महामाई
    मोर छत्तीसगढ़ दाई।
    माथ नवांवव ,पांव पखारौं ,
    तैं हमर महतारी।
    जय हो जय हो महामाई…

    तोर भुइँया ले मइया,
    अन्न उपजत हे।
    तोर अन्नपानी ले हमर,
    जिनगी चलत हे।
    हाथ जोर के ,पइंया लांगव
    अशीष देदे दाई।।
    जय हो, जय हो महामाई….

    मैनपाट हवय तोर,
    मउर मुकुट हे,
    इंद्रावती तोर ,
    चरण धोवत हे।
    हाथ जोर के विनती करन,
    शरण आवन दाई।।
    जय हो, जय हो महामाई…

    महानदी के इंहा ,
    धार बोहत हे।
    जम्मो छत्तीसगढ़िया मन,
    तोला सुमरत हे।
    किरपा करइया ,दुःख हरइया,
    होगे जीवन सुखदाई ।।

    जय हो ,जय हो महामाई,
    मोर छत्तीसगढ़ दाई।।

    नारियों का सम्मान-महदीप जंघेल

    जहाँ होता है बेटियों का सम्मान,
    उस देश का बढ़ जाता है मान।।

    अब दीवारों से बंधी ,नही रही बेटियाँ,
    बड़े -बड़े सपने गढ़ रही बेटियाँ।।

    जब तेज प्रचंड ,ज्वाला रूप धरती है!
    तब धरती आकाश ,पाताल डोलती है।

    नारी है देश समाज का मान,
    दुर्गा ,काली, लक्ष्मी,इनके है नाम।।

    जीवन रूपी नैया की,
    पतवार बन जाती है,
    वक्त पड़े जब,तलवार बन जाती है।

    करो न कभी ,नारियों का अपमान,
    क्षमा नही करेंगें, तुम्हे भगवान।।

    नारियाँ होती है ,माँ के समान
    बहु,बहन,बेटियाँ, इनके नाम।।

    जो करे नारियों का मान सम्मान,
    कहलाते है वही ,सच्चा इंसान।।

    महदीप जंघेल
    ग्राम-खमतराई

    हमर सुघ्घर छत्तीसगढ़

    ➖➖➖➖➖➖

    एक ठन राज हवे सुघ्घर ,
    नाम हे जेकर छत्तीसगढ़।।
    राजधानी हवे सुघ्घर रायपुर,
    हाईकोर्ट जिहां हे बिलासपुर।
    दंतेवाड़ा में लोहा खदान!
    ऊर्जा नगरी कोरबा महान।।
    धमतरी में हवे बड़े गंगरेल बांध,
    जम्मो झन के बचावय परान।।
    जिहां चित्रकोट अउ हवे तीरथगढ़,
    नाम हे जेकर छत्तीसगढ़ ।।

    डोंगरगढ़ म मइया बम्लेश्वरी,
    दंतेवाड़ा म मइया दंतेश्वरी।।
    रतनपुर म मइया महामाया ,
    जेकर कोरा हे हमर छतरछाया।
    गरियाबंद के हवे बड़े राजिम मेला,
    पैरी ,सोंढुर,महानदी के बोहवय रेला।
    बड़े- बड़े पहाड़ के गढ़ ,हवे रामगढ़,
    नाम हे जेकर छत्तीसगढ़।।

    भिलाई इस्पात कारखाना के,
    हवे काम महान,
    जेन हवे दुरुग भिलाई के शान।।
    कोरिया म हवे बड़े-बड़े कोयला खदान,
    टिन म सुकमा के अव्वल स्थान।।
    नारायणपुर के अबुझमाड़ ,
    जेन छत्तीसगढ़ के पहिचान हे।
    संगीत नगरी कहाये ,खैरागढ़।
    वोकर पूरा एशिया में अब्बड़ नाम हे ।
    जेकर बोली भाखा हवे मीठ अब्बड़,
    नाम हे जेकर छत्तीसगढ़

    छत्तीसगढ़ के खजुराहो ,
    भोरमदेव ल कहिथे।।
    अरपा ,पैरी, महानदी के,
    कलकल धार बहिथे।।
    अइसन सुघ्घर राज म रहिके ,
    अपन जिनगी ल गढ़।।

    एक ठन राज हवे सुघ्घर,
    नाम हे जेकर छतीसगढ़।।

    रचनाकार
    महदीप जंघेल ,

    माता के महिमा

    जय ,जय हो मइया दुर्गा,
    तोरेच गुण ल सब गावै।
    जय ,जय हो मइया अम्बे,
    सब तोरेच महिमा बखावै।।
    तोर शरण म आए बर मइया,
    जन-जन ह सोहिरावै।।
    जय,जय हो मइया दुर्गा……..

    पापी मन के नाश करे बर,
    दुनिया में तैं अवतारे।
    दानव मन ल मार के दाई,
    ये जग ल तैं ह उबारे।।
    पापी ,अतियाचारी असुरा मन ,
    सब देख तोला डर्राये।।
    जय-जय हो मइया दुर्गा………

    शक्ति रूप धरे तै जग में,
    दुर्गा काली कहाए।
    महिषासुर जइसे दानव ले,
    ये धरती ल तैं ह बचाए।।
    आदि शक्ति तैं माता भवानी,
    सब तोरेच लइका कहाए।।
    जय,जय हो मइया दुर्गा……  

    अन्नदाता किसान

    हमर किसान भाई, हमर किसान ,
    काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम।।
    हमर किसान भाई……….

    सुत उठ के बड़े बिहनियां!
    नांगर धरके जाय,
    मंझनी मंझना घाम पियास मा!
    खेत ल कमाय।
    हमू करब काम संगी ,हमर किसान ,
    काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम ।।
    हमर किसान भाई ….

    धान ,गेंहू ,चना, राहेर,
    खेत म वोहा बोवत हे।
    रखवारी करे बर ,
    मेड़ में घलो सोवत हे।।
    माटी के बेटा हरे,हमर किसान ,
    काम करे जियत भर ले,जाड़ा चाहे घाम ।।
    हमर किसान भाई……

    हरियर- हरियर खेत ल देख,
    मन ओकर हरियाय।
    कोठी भर-भर अन्न ल देख,
    ओकर अंतस गदगदाय।।
    रात- दिन मेहनत करथे ,लेवत राम नाम ,
    काम करे जियत भर ले ,जाड़ा चाहे घाम..
    हमर किसान भाई………

    भूखे लांघन खेत में काम ,
    सरग ,भुइँया ल बनाय।
    संसार के जम्मो भूख मिटाके,
    खुद चटनी बासी ल खाय।।
    हमर किसान हरे,हमर भगवान,
    रात दिन काम करे,देवे अन्न के दान।।
    हमर किसान भाई………

      महदीप जंघेल
                                 

    गांधी जी को प्रणाम

    वर्ष 1600 में ईस्ट इन्डिया कम्पनी
    जब भारत आया।
    साथ अपने, विदेशी ताकत भी लाया।।

    फूट डालो शासन करो नीति अपनाया।
    राजा महाराजाओं को,आपस में खूब लड़ाया।।
    धन दौलत माल खजाना,भारत का।
    लूट -लूटकर अपने वतन भिजवाया।।

    गरीबी,भुखमरी,और बेरोजगारी देश में बढ़ता गया।
    गरीब मजदूर मरता गया।।
    दिनो-दिनअंग्रेजो का ,अत्याचार बढ़ता गया।
    हिंसाऔर शोषण रूपी तपन चढ़ता गया।।

    तब 2 अक्टूबर सन 1869 पोरबंदर में,
    आई एक आंधी।
    जन्म लिया एक महापुरुष ने,
    नाम था मोहनदास गांधी।।

    अंग्रेजो के घर से ही ,कानून पढ़कर आया।
    अहिंसा ,और सत्यता की, धर्मनीति अपनाया।।
    देशभक्ति की ज्योति ,सबके मन में जलाया।।
    अंग्रेजो से लोहा लेकर, देश से उन्हें भगाया।।

    स्वच्छता का संदेश दिया ,
    बहन बेटियों का किया सम्मान।।
    युगपुरुष कहलाये वो,जिनको मिला महात्मा नाम।।
    ऐसे राष्ट्रपिता श्री महात्मा गांधी जी को
    मेरा शत शत प्रणाम।
    मेरा शत शत प्रणाम।

    महदीप जंघेल
    ग्राम-खमतराई
    विकासखण्ड-खैरागढ़
    जिला-राजनांदगांव

  • महिला सांसदों पर मार्शल बल का प्रयोग –

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    महिला सांसदों पर मार्शल बल का प्रयोग –

    लोकतंत्र पर कालिख पिछले दिनों लोकतंत्र के मंदिर माने जाने वाले संसद के उच्च सदन राज्य सभा में पिछड़ा वर्ग संबंधी बिल के संदर्भ में आयोजित सत्र के दौरान महिला सांसदो के साथ धक्कामुक्की की गई। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस पार्टी की महिला सांसद फूलोदेवी नेताम और श्रेष्ठ सांसद के रुप में सम्मानित छाया वर्मा ने अपने बयान में कहा है कि राज्यसभा में सत्र के दौरान वे अपना पक्ष रखना चाहती थी। लेकिन सत्ता पक्ष ने हमारी आवाज दबाने के लिए ताकत का इस्तेमाल किया। मार्शलो के बल पर महिला सांसदो की भी बोलती बंद करा दी गई। इतना ही नहीं उनके साथ मार्शलों ने बदसलूकी भी की। दोनों ही सांसद अपने साथ सरेआम संसद में हुई इस बुरे व्यवहार के के बारे में बताते हुए रो पड़ी। ऐसी घटना महाभारत के चीरहरण प्रकरण की याद दिलाता है। जो भरी सभा में द्रौपदी के साथ किया गया था। कोई भी महिला सासंद का अपमान होता है, तो यह अकेले उस महिला का अपमान नहीं है। यह उन सभी जनता का, मातृसत्ता का अपमान है, जिनका वे प्रतिनिधित्व कर रही है। महादेवी वर्मा लिखती है कि युगों से पुरुष स्त्री को उसकी शक्ति के लिए नहीं, सहनशक्ति के लिए ही दण्ड देता आ रहा है।

    भारत माँ के गालों पर कसकर पड़ा तमाचा है,
    रामराज में अबके रावण नंगा होकर नाचा है।

    हम गर्व करते हैं कि भारत संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। हमारी संस्कृति कहती है कि ”यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवताः“। हम नारी को माँ कहते हैं। हमारे नेता महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं। महिला आरक्षण के चर्चे होते हैं। सबका साथ सबका विकास का नारा लगाया जाता है। वहीं संसद में महिला सांसदो के साथ अभद्रता का व्यवहार किया जाता है। यह उस कहावत को चरितार्थ करता है जिसमें कहा गया है कि हाथी के दांत खाने का और होता है, दिखाने का और होता है। अभी अभी ओलंपिक में अपना नाम और देश का नाम रौशन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। भाषण में महिलाओं के सम्मान के लिए बड़ी बड़ी बांते कहीं जाती है, मगर वास्तविकता कुछ और ही है।
    देश का संसद लोकतंत्र का मंदिर होता है। करोड़ों लोगों के कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों पर वहाँ गंभीर चर्चे होने चाहिए। किंतु वहाँ उन मुद्दों प्राथमिकता दी जाति है, जिनसे सत्ताधीन दलों का स्वार्थ जुड़ा होता है। भरपूर बहुमत प्राप्त दल के लोग लोकतांत्रिक सत्ता में रहते हुए यह भूल जातें हैं कि, वे पाँच साल के लिए चुने गए हैं। वे अपने संख्या बल का प्रयोग विपक्षियों को डराने, धमकाने, हराने, बदनाम करने, बेईज्जत करने और अपने हितों के लिए कानूनी बदलाव करने के लिए करते हैं।

    आज के समय में देश में कुछ अतिमहत्वपूर्ण विषय हैं जिन पर संसद में सकारात्मक चर्चा और सुधार होनी चाहिए। मँहगाई की आग भयावह हो गई है। खाने के तेल की कीमत दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। पेट्रोल और डीजल दोनों के मूल्य खून से भी कीमती लगते है। गैस के सिलेंडर हजारी हो गया है। कुछ डेढ़ होशियार लोग कहते है कि मँहगे पेट्रोल खरीदना देशभक्ति है। ये वहीं लोग हैं, जो खुद विपक्ष में रहते थे तो मँहगाई के विरोध में संसद का सत्र रुकवा देते थे। ये वे ही हैं जो मँहगाई के विरोध में धरना, रैली और चक्काजाम कर देते थे। आज जब वे सत्ता में है तो वे जो करें सब अच्छा ही है। कोई विरोध करें तो मार्शल बुलाकर संसद से ही बाहर कर दिए जाते हैं। वे सभी सामान जिनका उत्पादन फैक्ट्री या कंपनी करती है, उनके कीमत आसमान छू रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन उत्पादकों पर सरकार का कोई लगाम ही नहीं है। ऐसा लगता है कि सरकार केवल किसानों और अपने कर्मचारियों पर शिकंजा कसना चाहती है।

    कोरोना काल में भारतीय स्वास्थ्य विभाग, अस्पताल, दवाई की बदहाली भी शासन को बेहतरी लगती है। ये नेताओ का दोष नहीं है। दरसल सत्ता की आँखों का चश्मा ही कुछ ऐसा होता है कि उसमें सब कुछ अच्छा ही अच्छा दिखता है। मंत्री और बड़े नेताओं के आगमन से पहले ही रातोरात सड़क बना दिए जाते हैं। जहाँ कल तक वीरान था, वहाँ पौधे नहीं सीधे पेड़ ही लगा दिए जाते हैं। ऐसे में सड़कांे की कमी या रास्तों के गड्ढे सरकार को कहाँ दिखेंगे।

    जनतंत्र की सफलता के लिए विपक्ष का होना जरुरी है। सत्ता को चाहिए कि विपक्ष के सही सलाह को माने। उनकी बातों को सुने। सरकार की बुराई को सुने और बरदाश्त भी करें। आज स्थिती ऐसी नहीं है। आज तो शासन का विषयगत विरोध करने वाले को भी सीधे राष्ट्रद्रोही करार दिया जाता है। लोकतंत्र के चौथे आधार समाचार और पत्रकारों के यहाँ छापे डलवाए जा रहे हैं । क्या सरकार को भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के घर का पता मालूम नहीं।

    क्या पता फिर अवसर मिले ना मिले योजनाओं के नाम बदले जा रहे है। जबकि नाम नहीं काम बदलने चाहिए। एक अरब की आबादी वाला भारत ओलंपिक में मात्र सात मेडल पाकर प्रसन्न है। ठीक है, पर सच में क्या हमें बहुत खुश होना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें खेल के क्षेत्र में उन छोटे छोटे देशों से सीखने की आवश्यकता है, जो हमसे बहुत छोटे होकर भी पदक तालिका में हमसे बेहतर है।
    किसानों की आमदनी दुगना करने का लालीपाप देने वाले लोगों के लिए पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसानो का मुद्दा भी कोई मायने नहीं रखता। बेरोजगारी, बिकते सरकारी उघोग, भ्रष्टाचार, जमाखोरी, प्राईवेट हास्पिटलों – स्कूलों की लूट ये कोई मुद्दा नहीं हैं । इस देश में सबसे बड़ा मुद्दा है – जाति, धर्म, मंदिर, चुनाव, खरीद फरोख्त, विज्ञापनबाजी, ड्रामेबाजी, ढकोसला, जनता को बहलाने के नए नए मुद्दे, आदि।

    माँ सरस्वती के भक्त, सती, सावित्री, मदालसा, मैत्रैय, पुष्पा, रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती और जीजाबाई जैसे देवियों की आराधना करने वाले इस देश के संसद में महिलाआंे के साथ अन्याय होता है तो बांकी जगह पर हालात कैसे होंगे, ये चिंतनीय है। महिला सशक्तिकरण की बात करने वालों को व्यवहार में भी नारी का सम्मान करना चाहिए। विपक्ष को भी केवल विरोध के लिए विरोध नहीं करना चाहिए। वहीं सत्ता पक्ष चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो उन्हें विपक्ष का मान रखना चाहिए। साथ ही संसद में उन्हीं विषयों पर चर्चा हो, कानून बने जो देश के हित के लिए सर्वोपरी है। क्योंकि संसद की कार्यवाही का एक एक मिनट भी बेशकीमती होता है। संसद देश का वो चौपाल है, जहाँ प्रेम, सौहाद्र और नेकी हो। जिसमें करोड़ों लोगों को न्याय मिले। किसी भी स्थिती में संसद को अखाड़ा नहीं बनने दिया जाए।

    अनिल कुमार वर्मा, सेमरताल

  • भगत सिंह का पुकार

    भगत सिंह का पुकार

    भगत सिंह

    देश के खातिर हो गया कुर्बान,
    जुबांँ पर था भारत का गुणगान।
    पाकिस्तान में जन्मे भारत ने पाला,
    बचपन में प्यारा नाम था भागोवाला।
    नित – अथक सभी करें देश का उद्धार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    कोई सिख था कोई हिन्दू- मुसलमान,
    देश की आजादी के लिए दे दी जान।
    आज़ादी के लिए भगत जी ने बनाई टोली,
    गोरों को कर परेशान करते आंँख मिचौली।
    देश के युवा अन्यायीयों पर भरो हुंकार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    भगत सिंह ने आजादी का जलाया मसाल,
    साथ में थे सहयोगी लाल, बाल और पाल।
    भारतीय युवाओं को देख अंग्रेज थे अचंभा,
    भगत जी ने बनाई जब नौजवान भारत सभा।
    देशभक्ति न हो जिसमें उसको है धिक्कार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    आंदोलन का लहर था मथुरा हो या काशी,
    भड़का क्रांति जब हुआ बिस्मिल को फांसी।
    बेकार न गई लाला लाजपत जी की कुर्बानी,
    सांडर्स को गोली मारकर आगे बढ़ी ये कहानी।
    देख अंग्रेजी हुकूमत और विश्व रह गया था दंग,
    भगत सिंह ने असेम्बली में जब फेंका था बम।
    जो न करे वतन से मोहब्बत वो है बेकार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    आंदोलन बढ़ता गया रोया था हर भारतवासी,
    भगत जी, राजगुरु व सुखदेव को हुआ फांसी।
    ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ जुबां पर था हमेशा
    वक्त ने आजादी पर खेल- खेला था कैसा।
    वीर हो गए शहीद था उनका अधिकार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    भारत के इतिहास में महान हो गया एक तारा,
    जुबां पर था नित ‘इंकलाब जिंदाबाद का नारा’|
    हिंदुस्तानियों शहीदों ने हमको ये भिख दिया,
    देश के लिए अपना जीवन वीरों ने लिख दिया।
    रोको तुम जहाँ पर हो जुल्म-अत्याचार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    15अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ हिंदुस्तान,
    देश की आजादी के लिए वीरों ने दी है जान।
    वक्त निकालकर उनका भी कर लो गुणगान,
    देश के लिए जिन्होंने सब कुछ कर गए दान।
    होकर जागृत भारत को दो तुम सँवार,
    देशवासियों को, भगत सिंह का पुकार।

    अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.)
    पिन – 496440

  • गुरु गोबिन्द सिंह जयंती पर कविता

    गुरु गोबिन्द सिंह जयंती पर कविता

    गुरु गोबिन्द सिंह जयंती पर कविता

    गुरु गोबिन्द सिंह जी की श्रद्धा, उनकी वीरता और उनके बलिदानों को बयां करती एक कविता।

    फूल मिले कभी शूल मिले,
    प्रतिकूल, उन्हें हर मार्ग मिले।
    फिर भी चलने की ठानी थी,
    मुगलों से हार न मानी थी।

    नवें गुरु, पिता तेगबहादुर,
    माता गुजरी, धन्य हुईं।
    गोबिन्द राय ने, जन्म लिया,
    माटी बिहार की, धन्य हुई।

    नवें वर्ष में, गुरूपद पाकर,
    दसम गुरु, निहाल हुए।
    तन-मन देकर, देश धर्म की
    रक्षा में, वे बहाल हुए।

    ज्ञान भक्ति, वैराग्य समर्पण,
    देशभक्ति में, निज का अर्पण।
    हर हाल में, धर्म बचाए थे,
    वे कहाँ किसी से हारे थे।

    धर्म की खातिर, खोए पिता को,
    माँ ने भी, बलिदान दिया।
    पुत्रों को भी, खोकर जिसने,
    धर्म को ही, सम्मान दिया।

    मन मंदिर हो, कर्म हो पूजा,
    बढ़कर सेवा से, धर्म न दूजा।
    नव धर्म-ध्वजा, फहराया था,
    पाखंड कभी न, भाया था।

    महापुत्र वे महापिता वे,
    राष्ट्रभक्त समदर्शी थे।
    ‘पंथ खालसा’ के निर्माता,
    अनुपम संत सिपाही थे।

    मुगलों संग युद्धों में जो,
    न्याय सत्य न, खोते थे।
    जिनके, स्वर्ण-नोंक की तीरें,
    खाकर दुश्मन, तरते थे।

    संत वही, वही योद्धा,
    गृहस्थ हुए, सन्यासी भी।
    महाकवि वे ‘दसम ग्रंथ’ के,
    पूर्ण किए, ‘गुरुग्रंथ’ भी।

  • सचिन :- क्रिकेट का भगवान- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    सचिन :- क्रिकेट का भगवान- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    सचिन :- क्रिकेट का भगवान- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

    सचिन क्रिकेट की एक विशिष्ट अनुभूति,
    क्रिकेट का विस्तार है

    क्रिकेट जगत में मिला जिसे
    प्यार अपार है

    ख्याति जिसकी विश्व में
    बेशुमार है

    सादा जीवन जिसका
    जिन्हें केवल क्रिकेट से प्यार है

    बच्चा – बच्चा, देश का हर सपूत
    उन्हें क्रिकेट का भगवान कहे

    सचिन , वो सख्शियत हैं जो
    हर पल जरूरतमंदों के साथ रहे

    तुम्हारी लगन और समर्पण ने
    तुम्हें क्रिकेट का मसीहा बनाया

    तुम्हारे अनुशासन और देशभक्तिपूर्ण विचारों ने
    तुम्हें क्रिकेट सम्राट बनाया

    ये हम क्रिकेट के चाहने वालों की किस्मत है
    जो हमने क्रिकेट के भगवान को अपने देश में पाया

    आपकी क्रिकेट भक्ति का जहां में नहीं कोई सानी है
    इस दुनिया में आप क्रिकेट की पहली कहानी हैं

    आपके समर्पण से ही क्रिकेट
    बालपन से युवावस्था में आया

    ऐसा क्रिकेट सम्राट हमने जहां में
    कहीं नहीं पाया

    आप अद्वितीय हैं आप बेमिसाल हैं
    आप जैसा इस धरा में

    दूसरा नहीं कोई लाल है
    आपने इस देश को क्रिकेट की

    जो सौगात दी है
    वह अविस्मरणीय है

    आपकी क्रिकेट कला के हम सब पुजारी हैं
    क्रिकेट के हर महारथी के सामने आप पड़े भारी हैं

    क्रिकेट सचिन है , सचिन क्रिकेट है
    आप करोड़ों दिलों की धडकन हैं

    आपसे ही क्रिकेट की सुबह और शाम है
    आप मानवता के पुजारी हैं

    आप गुरुभक्ति के सबसे बड़े समर्थक हैं
    आपकी कर्मठता , दूरदर्शिता ने

    आपको इस धरा पर सितारा बना दिया
    आपके खेल ने हम सबको
    आपका दीवाना बना दिया

    बड़े भाई के प्रति प्रेम
    बच्चों के प्रति वात्सल्य
    आपके व्यक्तित्व में झलकता है

    आपके नाम से गली – गली में
    क्रिकेट का सूर्य उदय होता है

    सचिन तुम युवा पीढ़ी के
    पथ प्रदर्शक हो गए

    संकल्पों की नीव , आदर्शों का
    आधार हो गए

    तुमसे ही हर दिलों में
    क्रिकेट जवान होता है

    तुमसे ही हर गली , हर मोहल्ले में
    क्रिकेट पल्लवित व जीवंत होता है

    सचिन तुम बेमिसाल हो
    कमाल हो , भारत की शान हो , क्रिकेट का ईमान हो

    सचिन तुम भारत के सच्चे सपूत हो गए
    सचिन तुम हकीकत में भारत रत्न हो गए

    सचिन आप अनमोल रत्न हैं
    आपसे विश्व में सम्मान पाता हमारा वतन है

    हे क्रिकेट के स्वामी , हे क्रिकेट के पालनहार
    लिया है आपने हिन्दुस्तान में अवतार

    आपके ही प्रयासों का यह परिणाम है
    आज सारे क्रिकेट के रिकॉर्ड आपके ही नाम हैं

    हे क्रिकेट विधाता . क्रिकेट आप से ही पूजा जाए
    इस वतन में आप हर बार जन्म लें

    इसी तरह इस खेल और इस वतन को रोशन करें |