दिसंबर महीने पर कविता

दिसंबर महीने पर कविता आ गये दिसंबर केठिठुराते  दिन।कोहरे की चादर धूप भाये पल झिन । आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन । लुका छुपी करतासूरज  दादा  आसमां पेबेमौसम पानी बरसे रिमझिम । आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।…

सायली विधा में रचना – मधुमिता घोष

सायली विधा में रचना – मधुमिता घोष बचपनबीत गयाआई है जवानीउम्मीदें बढ़ीसबकी. चलोउम्मीदों केपंख लगा करछू लेंआसमाँ. आँखेंभीगी आजयादों में तेरीखो गयेसपने. सपनेखो गयेइन आँखों केबिखर गईआशायें.   मधुमिता घोष “प्रिणा” Post Views: 70

चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा

चल मेरे भाई – वन्दना शर्मा चलो आज गुजार लेते हैं कुछ खुशी के लमहे,बन जाते हैं एक बार फिरसिर्फ इंसान,और चलते हैं वहाँउसी मैदान में जहाँ,राम और रहीम एक साथ खेलते हैं।चढ़ाते हैं उस माटी का एक ही रंगचलते…

आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा

आईना पर कविता – कुमुद श्रीवास्तव वर्मा हमको, हमीं से मिलाता है आईना. इस दिल के जज्बात बताता है आईना. हुआ किसी पे फिदा ,ये बताता है आईना. संवरनें की चाह जगाता है आईना. उम्र के तजुर्बों को बताता है…

हाइकु

शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन          सिंदुरी भोर      धरा के मांग  सजी        लागे दुल्हन         नव रूपसी      दुब मखमली  सी        छवि न्यारी  सी          कोहरा छाया     एक पक्ष वक्त  का      दुखों  का साया        …